दिल्ली सरकार के फैसले से MCD के इंजीनियरों की बढ़ी टेंशन, यह कदम उठाने की वजह भी है खास
दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए ठेकेदारों को सीधे भुगतान पर रोक लगा दी है। अब वित्त विभाग की अनुमति के बाद ही भुगतान होगा। लेटर ऑफ क्रेडिट की व्यवस्था खत्म कर दी गई है और एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम बनाया जा रहा है। इस बदलाव का उद्देश्य योजनाओं में पारदर्शिता लाना और धन का सही उपयोग सुनिश्चित करना है।
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। निर्माण कार्य की गुणवत्ता में सुधार और गड़बड़ी रोकने के लिए अब वित्त विभाग से अनुमति मिलने पर ही ठेकेदार को भुगतान हो सकेगा। दिल्ली सरकार में विकास कार्य कराने के मामले में अभियंता अब सीधे तौर पर ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पाएंगे। भुगतान के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करने की व्यवस्था काे सरकार ने समाप्त कर दिया है।
इसके तहत अभियंता ठेकेदारों का भुगतान करा देते थे। अब भुगतान के लिए परियोजना से जुड़े शीर्ष अधिकारी से मंजूरी लेनी होगी। सरकार के निर्देश पर वित्त विभाग ने इसे लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं।
इस व्यवस्था को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (आई एंड एफसी) दोनों में लागू किया गया है। सरकार ने लेटर ऑफ क्रेडिट जारी करने की व्यवस्था समाप्त कर दी है। 
गत दिनों वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दोनों विभागों के सभी डिविजनों को दिए गए लेटर आफ क्रेडिट को तत्काल प्रभाव से वापस भी ले लिया है। साथ ही, निर्देश दिया गया है कि भुगतान के लिए कोई चेक जारी न किया जाएं। अधिकारियों के अनुसार, योजनाओं के भुगतान में पारदर्शिता लाने और धन सही उपयोग को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी और सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग में विकास योजनाओं के भुगतान के लिए एक सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इस व्यवस्था के तहत अब स्वीकृत योजनाओं का फंड एक केंद्रीकृत स्थान पर उपलब्ध रहेगा।
एग्जिक्यूटिव इंजीनियर द्वारा सीधे भुगतान की व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी, लेकिन भुगतान के लिए संबंधित अधिकारी की मंजूरी अनिवार्य होगी। मंजूरी मिलने के बाद ही भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। हालांकि, इस कदम से दोनों विभागों की चल रही परियोजनाओं पर अस्थायी प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
वहीं, वर्तमान व्यवस्था में दोनों विभागों को डिविजन-वार योजनाओं के लिए फंड की मंजूरी दी जाती थी और उस डिविजन के लिए लेटर आफ क्रेडिट जारी किया जाता था।
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नई व्यवस्था में योजनाओं के लिए बजट तो आवंटिव होगा, लेकिन कोई लेटर अाफ क्रेडिट जारी नहीं किया जाएगा। परियोजना के लिए फंड सेंट्रलाइज्ड पेमेंट सिस्टम में उपलब्ध रहेगा। योजना से जुड़े वित्त अधिकारी द्वारा भुगतान की मंजूरी दिए जाने के बाद ही भुगतान किया जाएगा।

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