दिल्ली सरकार ने दक्षिणी रिज का 41 वर्ग किमी क्षेत्र आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया, बढ़ेगा हरित क्षेत्र
दिल्ली सरकार ने दक्षिणी रिज के 41 वर्ग किमी क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि खाली जमीनों पर देसी पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे पर्यावरण मजबूत होगा। पहले इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई थी, जिससे अतिक्रमण और हरियाली को नुकसान हुआ। अब वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा, जिससे प्रदूषण घटेगा और भूजल स्तर मजबूत होगा।
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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी को प्रदूषण से बचाने और पर्यावरण को प्रभावी रूप से मजबूत करने के लिए दिल्ली सरकार ने दक्षिणी रिज के 41 वर्ग किमी क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया है। सीएम रेखा गुप्ता ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अब ऐसे वन क्षेत्रों की खाली जमीनों पर देसी पेड़ लगाए जाएंगे। इससे न केवल जमीन उपजाऊ होगी बल्कि पर्यावरण भी मजबूत होगा।
बकौल मुख्यमंत्री, राजधानी के रिज क्षेत्र को लगभग 20 साल से लावारिस मान लिया गया था। पूर्व सरकारों ने इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए न कोई पहल की और न ही कोई कदम उठाया। इसका परिणाम यह हुआ कि कई रिज क्षेत्र में अतिक्रमण हो गया और वहां हरियाली भी प्रभावित होने लगी। इसी के मद्देनजर लगातार बैठकें और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बनाया जा रहा था।
अब जाकर भारतीय वन अधिनियम-1927 के अधीन दक्षिणी रिज के करीब 41 स्क्वेयर किलोमीटर क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दक्षिणी रिज क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र घोषित करने का यह प्रथम चरण है। दिल्ली के अन्य रिज क्षेत्र को भी जल्द आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया जारी है।
मुख्यमंत्री ने आप सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में पूर्ववर्ती सरकार की उपेक्षा से रिज क्षेत्र बदहाली के शिकार रहे हैं। अतिक्रमण के कारण हरियाली को भी क्षति हुई है। लेकिन अब रिज क्षेत्र के मूल स्वरूप की बहाली को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रयास हो रहे हैं।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी इस निर्णय को मील का पत्थर कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वन विभाग वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वृक्षारोपण अभियान चला रहा है। इससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप देसी प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे ताकि प्रदूषण घटे, भूजल स्तर और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूती मिल सके।
ऐसे होगा अब इस क्षेत्र का विकास
आरक्षित वन क्षेत्र में जहां भी खाली भूमि होगी, वहां वन क्षेत्र को सघन करने के लिए देसी एवं फलदार पेड़ लगाए जाएंगे। इनमें नीम पीपल, शीशम, आम, इमली, जामुन आदि के पेड़ शामिल हैं। इसका सकारात्मक परिणाम यह होगा कि इस क्षेत्र की भूमि ऊपजाऊ रहेगी, जैव विविधता को मजबूती मिलेगी, साथ ही वहां पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल दिल्ली की हरियाली को संरक्षित करेगा, बल्कि भविष्य में स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण भी सुनिश्चित करेगा।
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