दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रदूषण कभी भी नहीं बनता मुद्दा, सभी प्रमुख दलों का ध्यान रेवड़ियां बांटने पर
दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रदूषण कभी भी एक चुनावी मुद्दा नहीं रहा है। राजनीतिक दल घोषणापत्रों में अन्य मुद्दों को शामिल करते हैं, लेकिन प्रदूषण पर ध्यान नहीं देते। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक जनता स्वयं प्रदूषण को मुद्दा नहीं बनाएगी, तब तक राजनीतिक दल भी इसे गंभीरता से नहीं लेंगे। पिछले चुनावों में, राजनीतिक दलों ने मुफ्त उपहारों की घोषणाओं पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन प्रदूषण का कोई उल्लेख नहीं किया।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रदूषण कभी भी नहीं चुनावी मुद्दा नहीं बनता।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रदूषण कभी भी नहीं चुनावी मुद्दा नहीं बनता है। राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में तमाम मुद्दे होते हैं मगर प्रदूषण का मुद्दा नहीं उठता,जबकि दिल्ली में यह बड़ी समस्या हो चुकी है। फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जनता चार महीने तक प्रदूषण से जूझती है, प्रदूषण से लोगों की सांसे कम हो रही हैं, कई लोगों की मौत तक हो रही है और लोगों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों तक से जूझना पड़ रहा है।
मगर चुनाव के समय ना तो राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठाते हैं और ना ही जनता भी इस मुद्दे पर वोट देती है। विशेषज्ञों की मानें तो वायु प्रदूषण तभी मुद्दा बनेगा, जब जनता चाहेगी। उनके अनुसार संपन्न या उच्च वर्ग को छोड़ दें तो अन्य लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरुकता न होना इसके पीछे बड़ा कारण है।
राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्रों की बात करें तो वह इसे एजेंडा नहीं बना रहे हैं। हैरानी की बात है कि एक भी दल चुनाव के समय इस पर बात नहीं करता है। चुनाव चाहें लोकसभा का हो या दिल्ली नगर निगम का हो या फिर दिल्ली विधानसभा का हो, इस पर चुनाव में बात नहीं होती है। जनता का वोट लेने के लिए लोक लुभावन घोषणाएं होती हैं आैर जनता उन्हें में उलझ जाती है।
अगर पिछली फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखें तो पिछला चुनाव रेवड़ियां बांटने की घोषणाओं पर ही हाे गया। जो भाजपा इसका कभी भी समर्थन नहीं करती थी, वह भी इसी लाइन पर चल पड़ी। आप, भाजपा कांग्रेस सभी ने एक से बढ़कर एक घोषणाएं कीं। मगर प्रदूषण के किसी भी मामले का जिक्र नहीं हुअा। इससे पहले 2020 और 2015 के चुनाव में भी प्रदूषण पर कभी वात नहीं हुई। हालांकि दिल्ली की सत्ता में रहे दल प्रदूषण बढ़ने पर इसे कम करने का दावा जरूर करते रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025
भाजपा
विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी ने जनता के लिए कई घोषणाएं की जिसमें सबसे ऊपर महिलाओं को प्रतिमाह 2500 आर्थिक मदद देने की घोषणा सबसे ऊपर शामिल थी। आटो वालों से लेकर विभिन्न वर्गों के लिए घोषणाएं हुईं, गैस सिलेंडर पर सब्सिडी की घोषणा हुई, होली दीवाली पर फ्री गैस सिलेंडर देने की भी घोषणा हुई। मगर प्रदूषण का भाजपा के घोषणा पत्र में भी कोई जिक्र नहीं था।
आप
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 15 गारंटी का वादा जनता से किया था। उसमें सबसे ऊपर महिलाओं को प्रतिमाह 2100 रूपये आर्थिक मदद देने की घोषणा सबसे ऊपर थी। स्कूली छात्र छात्राओं और युवाओं को तक के हित साधने तक की बात की गई। ऑटो वालों और गरीब लोगों की भी बात हुई। बिजली पानी फ्री की बात हुई मगर प्रदूषण का कहीं भी जिक्र नहीं हुआ।
कांग्रेस
कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी महिलाओं को 2500 आर्थिक मदद देने का मुद्दा सबसे ऊपर रहा है। कांग्रेस ने कई और तरीके की घोषणाएं भी जनता के लिए की। जिसमें महिलाओं को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा कवरेज और प्रमुख कल्याणकारी लाभ देने का वादा किया गया है। मगर कांग्रेस के भी घोषणा पत्र में कहीं भी प्रदूषण को लेकर कोई जिक्र नहीं था।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
राजनीतिक दल तब तक प्रदूषण को चुनावी मुद्दा नहीं बनाएंगे, जब तक जनता इसे गंभीरता से नहीं लेगी और इसकी भयावहता को नहीं समझेगी। राजनीतिक दलों को प्रदूषण के प्रभावों की जानकारी तो है, मगर वह यह देख रहे हैं कि जनता क्या चाह रही है। जनता प्रदूषण से जूझ रही है, मेडिकल से लेकर अन्य मामलों में उनका खर्च बढ़ रहा है। स्वास्थ्य खराब हो रहा है, मौत तक बढ़ रही हैं। मगर जनता इस मुद्दे को उतनी गंभीरता से अभी नहीं ले रही है। इसमें जागरूकता का अभाव भी है। मेरा मानना है कि विधानसभा ही नहीं, लोकसभा और निगम के चुनाव में भी प्रदूषण मुद्दा होना ही चाहिए। - डॉ. एस के त्यागी, पूर्व अपर निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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