'सरकार बुलडोजर लेकर सब खत्म नहीं कर सकती...', अजमेर शरीफ में ढांजा गिराने को लेकर दिल्ली HC ने उठाया सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह में ढांचे को गिराने के प्रस्ताव पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार अस्पष्ट नोटिस के आधार पर तोड़फोड़ नहीं कर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अजमेर शरीफ दरगाह में ढांचे को गिराने के प्रस्ताव पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार अस्पष्ट नोटिस के आधार पर तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं कर सकती है।
सैयद मेहराज मिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा कि 13वीं सदी के सूफी तीर्थस्थल में ढांचे को गिराने से पहले हितधारकों को कारण बताओ नोटिस देना चाहिए और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए। पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार सिर्फ बुलडोजर लेकर सब कुछ खत्म नहीं कर सकती।
पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा कि अदालत ने छह नवंबर को केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर अजमेर शरीफ दरगाह कमेटी बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।
पीठ ने कहा कि कमेटी के बिना नाजिम कुछ भी नहीं है। नाजिम सिर्फ एक प्रतिनिधि है। पीठ ने सवाल उठाया कि सरकार कमेटी क्यों नहीं बना रही है? इसके साथ ही पीठ ने केंद्र सरकार को दरगाह की कमेटी बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने और परिसर में बने ढांचों को हटाने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया। उक्त निर्देश के साथ अदालत ने मामले की सुनवाई 23 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी।
दरगाह के खादिम सैयद मेहराज मिया ने याचिका दायर कर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और नाजिम दरगाह कमेटी के कार्यालय को 22 नवंबर के आदेश को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया था कि आदेश में दरगाह परिसर के अंदर और बाहर कई स्थायी और अस्थायी निर्माणों को गिराने का निर्देश दिया गया है।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि जिन निर्माणों को गिराने की बात कही जा रही है, वे अतिक्रमण नहीं हैं। फरासत ने कहा कि फिलहाल दरगाह का प्रबंधन करने के लिए कोई दरगाह कमेटी नहीं है और इसके मामलों का प्रबंधन सरकार द्वारा नियुक्त नाजिम द्वारा किया जा रहा है। इनके पास ऐसे निर्देश जारी करने की शक्ति नहीं है।
वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए स्थायी अधिवक्ता अमित तिवारी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने अस्थायी ढांचे बनाए थे। उन्होंने कहा कि अस्थायी ढांचा खड़ा किया गया है।
इससे गंभीर रुकावटें आएंगी और समस्याएं पैदा होंगी। यह भी कहा कि उर्स होने वाला है और पांच लाख से ज्यादा लोग आएंगे। स्थायी वकील ने कहा कि जगह को सुरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा सब कुछ कर रहे हैं।

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