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    'समझौता केवल कागजों पर नहीं, अमल में जरूरी'; दिल्ली HC ने दहेज उत्पीड़न केस रद करने से किया इनकार

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 07:16 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने दहेज उत्पीड़न मामले को रद करने से इनकार करते हुए कहा कि समझौता केवल कागजों पर नहीं, अमल में भी दिखना चाहिए। अदालत ने समझौते की शर्तों का पालन करने पर जोर दिया और दहेज उत्पीड़न को एक गंभीर अपराध बताया। न्यायालय ने मामले को रद करने की याचिका खारिज कर दी, क्योंकि समझौते का सही तरीके से पालन नहीं किया गया था।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वैवाहिक विवाद से जुड़ी प्राथमिकी को रद करने से इन्कार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि अगर अलग रह रहे दंपति के बीच समझौता नहीं हुआ है, तो वैवाहिक विवाद से जुड़ी प्राथमिकी रद नहीं की जा सकती।

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    पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था, लेकिन उस पर कभी कोई अमल या क्रियान्वयन नहीं हुआ। केवल कुछ राशि के चेक जमा कर देने को समझौता नहीं कहा जा सकता क्योंकि उक्त चेक आज तक प्रतिवादी महिला को जारी नहीं किए गए हैं। पीठ ने कहा कि तलाक की कार्यवाही की विफलता के लिए पति स्वयं जिम्मेदार है।

    अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता पति को राहत देने से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि केवल समझौते की पूर्ति न होने के आधार पर प्राथमिकी रद नहीं की जा सकती।

    वर्ष 2005 में हुई प्राथमिकी को रद करने की मांग को लेकर याची व्यक्ति ने याचिका दायर की थी। उस पर पत्नी द्वारा दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। 2018 में दंपति ने आपसी सहमति से तलाक के लिए एक याचिका दायर की। उनके बीच एक समझौता हुआ और इसके तहत पति अपनी पत्नी और दो बच्चों को 37 लाख रुपये देने पर सहमत हुआ।

    2021 में कोरोना महामारी के बीच कारण तलाक की याचिका खारिज कर दी गई और बाद की अपीलें भी खारिज कर दी गईं। महिला ने तर्क दिया कि उनके बीच समझौता हो गया था, लेकिन समझौते के दायित्वों को पूरा न करने और अन्य कारणों से समझौता सफल नहीं हो सका। इसके बाद पारिवारिक न्यायालय ने तलाक की याचिका खारिज कर दी।

    उक्त तथ्यों को देखते हुए पीठ ने कहा कि रिकाॅर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह पता चले कि याचिकाकर्ता ने इस समझौते पर कभी अमल किया है। पीठ ने कहा कि उसने केवल कुछ राशियों के चेक जमा किए हैं, जो आज तक प्रतिवादी महिला को जारी नहीं किए गए हैं क्योंकि आपसी सहमति से कोई तलाक नहीं हुआ है।

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