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    दिल्ली हाईकोर्ट ने JNU के चुनाव नियम को रखा बरकरार, कोर्ट ने छात्रों की याचिका को किया खारिज

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 08:43 AM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू के उस नियम को सही ठहराया है, जिसके अनुसार यौन उत्पीड़न मामलों की समिति के छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में सभी छात्र वोट कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि चुनावी विवादों में हस्तक्षेप के लिए ठोस सबूत जरूरी हैं और केवल असंतोष के आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। अदालत ने चुनाव प्रक्रिया का सम्मान करने की बात कही और हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।  

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने वाली आंतरिक समिति (आइसी) के छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में छात्रों को सभी निर्वाचन क्षेत्रों स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध छात्र में मतदान करने की अनुमति देने के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के नियम को दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है।

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    न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि चुनावी विवादों में न्यायिक हस्तक्षेप के लिए ठोस और विश्वसनीय सबूतों की आवश्यकता होती है। पीठ ने कहा कि केवल निर्णयों से असंतोष व पूर्वाग्रह को प्रमाणित किए बिना चुनावों में हस्तक्षेप का आधार नहीं हो सकतीं। पीठ ने चुनावी प्रक्रियाओं और परिणामों का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

    अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए आइसी 2024-2025 का चुनाव लड़ने वाले स्नातक छात्र सहित अन्य की याचिका काे खारिज कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने एक नवंबर 2024 को आंतरिक समिति चुनाव 2024-25 के लिए जारी सामान्य निर्देशों को चुनौती दी थी।

    उन्होंने कहा कि इसमें जेएनयू ने कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम- 2013 के तहत आंतरिक समिति में छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए प्रत्येक छात्र को तीनों निर्वाचन क्षेत्रों यानी स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध छात्र में से प्रत्येक में एक वोट डालने की अनुमति दी।

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    अदालत ने कहा कि मतदान आधार में वृद्धि को खेल के नियमों में बदलाव नहीं माना जा सकता। पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि बहुत आवश्यक न होने पर न्यायपालिका को चुनावों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह भी कहा कि इस मामले में ऐसी कोई आवश्यकता उत्पन्न नहीं हुई क्योंकि चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न हुए थे।