Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    उदयपुर के अनोखे होटल को लेकर दिल्ली HC का आदेश, META को 36 घंटे में वीडियो हटाने को कहा

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 07:15 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने ताज लेक पैलेस उदयपुर के खिलाफ अपमानजनक एआई-जनित वीडियो को हटाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि वीडियो झूठा है और इससे होटल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है। इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आइएचसीएल) ने तर्क दिया कि वीडियो में झूठे दावे किए गए थे कि होटल कर्मचारियों ने 2018 में मेहमानों को जहर दिया था। अदालत ने मेटा को वीडियो हटाने का निर्देश दिया है।

    Hero Image

    उदरपुर के अनोखे होटल को लेकर दिल्ली HC का आदेश, META को 36 घंटे में वीडियो हटाने का आदेश।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ताज लेक पैलेस उदयपुर के खिलाफ अपमानजनक दावे करते हुए एआई के माध्मय से बनाए गए एक इंटाग्राम वीडियो को हटाने का दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है। न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालत का प्रथमदृष्टया यह मत है कि विवादित वीडियो की विषय-वस्तु झूठी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऐसे में झूठे वीडियो का प्रसार सीधे तौर पर वादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है और जनता के सामने वादी की संपत्ति ताज लेक पैलेस उदयपुर को गलत तरीके से पेश करता है। पीठ ने कहा कि उक्त तथ्यों को देखते हुए प्रथमदृष्टया वीडियो झूठा है और इसे हटाया जाना चाहिए।

    अदालत ने कहा कि अगर इस तरह के काल्पनिक और छेड़छाड़ किए गए वीडियो को प्रसारित होने दिया गया तो ताज होटल को अपूरणीय क्षति होगी। अदालत ने मेटा को 36 घंटों के भीतर संबंधित वीडियो को हटाने का निर्देश दिया।

    अदालत ने मेटा को निर्देश दिया गया है कि वह अकाउंटधारक की बेसिक सब्सक्राइबर इन्फॉर्मेशन (बीएसआई) का विवरण साझा करें ताकि समन की तामील की जा सके। मामले में अगली सुनवाई 23 मार्च 2026 को होगी।

    ताज होटल शृंखला के मालिक द इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) ने तर्क दिया कि ट्रैवेलागियो इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड किए गए एआई-जनरेटेड वीडियो में झूठा दावा किया गया था कि होटल के कर्मचारियों ने 2018 में अमीर मेहमानों को जहर दिया था।

    यह भी कहा गया कि वीडियो में झूठे, काल्पनिक और अपमानजनक दावे किए गए थे कि 2018 में पर्यटकों को जहर देकर मार दिया गया था और इस मामले को दबा दिया गया था, अदालत को बताया गया।

    आईएचसीएल ने आगे कहा कि पूरी तरह से एआई-जनरेटेड होने और संदिग्ध दावों वाले होने के बावजूद वीडियो व्यापक रूप से प्रसारित हुआ और इंस्टाग्राम पर इसे बीस हजार से ज्यादा बार देखा गया।

    यह भी पढ़ें- नशे में धुत सिपाही ने सड़क के बीचों-बीच किया हाईवोल्टेज ड्रामा, हालत देख राहगीर भी हैरान