दिल्ली के तीन केंद्रीय अस्पतालों में HOD का चयन क्यों अटका? चार बार पत्र जारी, साक्षात्कार एक भी नहीं
दिल्ली के तीन केंद्रीय अस्पतालों में विभागाध्यक्षों के चयन में देरी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कई परिपत्र जारी किए, पर साक्षात्कार नहीं हुए। नई नीति के अनुसार, हर तीन साल में नवीनीकरण होना चाहिए था, लेकिन कई विभागों में प्रमुख छह साल से अधिक समय से कार्यरत हैं। चयन प्रक्रिया के अभाव में कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा राजधानी के तीन प्रमुख केंद्रीय अस्पतालों सफदरजंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग आयुर्विज्ञान महाविद्यालय में विभागाध्यक्ष (प्रमुख) के चयन के लिए वर्ष 2024 से अब तक चार बार परिपत्र जारी किए जा चुके हैं, किंतु अब तक एक भी साक्षात्कार नहीं हो सका है।
महानिदेशालय स्वास्थ्य सेवाएं (डीजीएचएस) ने नवीनतम परिपत्र 31 अक्तूबर को जारी किया, परंतु इससे पहले जारी तीनों परिपत्रों की भांति यह भी केवल कागज़ों तक सीमित रह गया। परिणामस्वरूप, इन अस्पतालों के कई विभागों में नेतृत्व वर्षों से यथावत बना हुआ है।
वर्ष 2023 में लागू की गई नई नीति के अनुसार प्रत्येक तीन वर्ष में साक्षात्कार कर नेतृत्व में नवीनीकरण किया जाना आवश्यक है, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे। वर्तमान में लगभग 35 विभाग ऐसे हैं, जिनके प्रमुख छह वर्ष से अधिक समय से कार्यरत हैं या अगले छह महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इन पदों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित की गई है।
नई व्यवस्था के अंतर्गत केवल वे प्राध्यापक या निदेशक प्राध्यापक आवेदन कर सकते हैं जिन्हें संबंधित विषय में न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव हो तथा सेवानिवृत्ति में एक वर्ष से अधिक समय शेष हो। प्रत्येक नियुक्ति की अवधि तीन वर्ष या 62 वर्ष की आयु (जो पहले हो) तक सीमित होगी।
वरिष्ठ संकाय सदस्यों का कहना है कि चयन प्रक्रिया के अभाव में विभागों की कार्यक्षमता घट रही है और लंबे समय से एक ही नेतृत्व होने के कारण ठहराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, 'लगातार प्रभारी प्रमुख के कारण विभागीय निर्णयों में विलंब होता है, जिससे दीर्घकालिक योजनाएं प्रभावित होती हैं।'
मंत्रालय सूत्रों ने देरी का कारण ‘प्रशासनिक कारण’ बताया है, जबकि आंतरिक सूत्रों का कहना है कि इसमें उंचे अधिकारियों के हस्तक्षेप और प्रभाव की भूमिका भी है। मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, 'रोटेशनल सिस्टम' को ठहराव समाप्त करने और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से लागू किया गया था, परंतु प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकी।'

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