दिल्ली के 18 अस्पतालों में रेडियोलॉजी विभाग बेहाल, रेडियोलॉजिस्ट के 104 पद खाली, मरीज भटकने को मजबूर
दिल्ली के 18 सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजी विभाग की हालत खराब है। रेडियोलॉजिस्ट के 104 पद खाली होने से मरीजों को जांच के लिए भटकना पड़ रहा है। समय पर जांच न होने से इलाज में देरी हो रही है और अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है। मरीजों को निजी केंद्रों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। आधुनिक चिकित्सकीय विज्ञान में यह कहावत आम है कि ‘एक स्कैन, एक जीवन’ यानी समय पर जांच हो तो बीमारी का निदान और इलाज दोनों संभव है। पर, राजधानी दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलाॅजी विभाग की स्थिति इस कहावत के बिलकुल विपरीत है।
दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले 18 प्रमुख अस्पतालों एलएनजेपी, जीटीबी, डीडीयू आदि के रेडियोलाॅजी विभाग में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है या फिर वह है ही नहीं। इस कारण कई अस्पतालों में सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन का संचालन ही नहीं हो पा रहा। यही नहीं कहीं मशीनें ही नहीं हैं। मरीजों को जांच के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है या बाहर से करानी पड़ती है।
इसकी पुष्टि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक रिपोर्ट और स्वास्व्य सेवा महानिदेशालय की समीक्षा रिपोर्ट 2024-25 भी करती है। राष्ट्रीय राजधानी में जहां लाखों मरीज सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं, वहां रेडियोलाॅजी जैसे अहम विभाग का कमजोर होना सीधे जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ है। कहीं यह स्थिति ‘एक स्कैन, एक जीवन’ की जगह ‘एक इंतजार, एक जोखिम’ न बन जाए।
रेजीडेंट भर्ती में देरी बनी मुख्य वजह
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी का मुख्य कारण लंबे समय से नई भर्ती का न होना है। हालांकि बीच-बीच में नई नियुक्ति के प्रयास तो हुए पर, वह परवान नहीं चढ़ सके। जिससे चिकित्सकों की कमी बनी रही। इनमें 104 पद रेडियोलाॅजिस्ट के हैं, जो रिक्त चल रहे हैं। इन्हें अभी तक भरा नहीं जा सका है।
निष्क्रिय पड़ी मशीन
विशेषज्ञों के कमी के कारण कई अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीन बिना संचालन के निष्क्रिय पड़ी हैं। कुछ अस्पतालों में तो थ्री-टेस्ला एमआरआई मशीनें तक चालू नहीं हैं। इसकी पुष्टि कैग और डीजीएचएस की समीक्षा रिपोर्ट 2024-25 भी करती है। रिपोर्ट में इस स्थिति पर टिप्पणी की गई है कि इनमें ‘धन है, इच्छाशक्ति नहीं’ वाली भावना से काम हो रहा है।
डेढ़ लाख से अधिक मरीजों को पड़ती है आवश्कता
दिल्ली के डेढ़ लाख से अधिक मरीजों को हर वर्ष एमआरआई और सीटी स्कैन की आवश्यकता पड़ती है। पूरी तरह कार्यरत उन्नत मशीनें व सेवा मात्र लोक नायक, जीटीबी, सहित कुछ चुनिंदा अस्पतालों में ही उपलब्ध हैं।
- 16 प्रमुख अस्पतालों में से नौ में रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं।
- अल्ट्रासाउंड पूरी तरह बंद या आंशिक चालू।
- एमआरआई केवल लोक नायक अस्पताल में है।
- सीटी स्कैन केवल तीन अस्पतालों में है, बाकी में पुरानी/खराब मशीनें या अनुपलब्ध।
- रात में किसी भी अस्पताल में रेडियोलाॅजी इमरजेंसी सुविधा नहीं।
- मरीजों को निजी संस्थानों या एम्स भेजा भेजा जाता है।
इन अस्पतालों में नहीं हैं रेडियोलाॅजिस्ट
एक आरटीआई के उत्तर में विभाग ने यह जानकारी दी थी कि संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल, गुरु गोबिंद सिंह सरकारी अस्पताल, लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल, बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, अरुणा आसफ अली अस्पताल, राव तुला राम मेमोरियल अस्पताल, जग प्रवेश चंद्र अस्पताल और सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल इन सभी में रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं। मरीजों को प्राइवेट लैब या लोक नायक रेफर किया जाता है।
यहां उपलब्ध हैं रेडियोलाॅजिस्ट (सीमित)
- लोक नायक अस्पताल, केवल इसमें ही एमआरआई उपलब्ध है।
- गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल में तीन रेडियोलाॅजिस्ट, सीटी मशीन पुरानी, अल्ट्रासाउंड केवल दिन में।
- डाॅ. हेडगेवार में दो रेडियोलॉजिस्ट हैं, सीटी मशीन पुरानी, अल्ट्रासाउंड केवल दिन में।
दिल्ली सरकार की नई योजना
- जनवरी 2026 तक सभी 36 अस्पतालों में पीपीपी माडल पर सीटी और एमआरआई लगाने की योजना।
- दिल्ली अधिनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से 104 पदों पर भर्ती की योजना।
- फिलहाल अल्ट्रासाउंड आउटसोर्सिंग से चल रहा है।
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