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    दिल्ली की हवा बनी 'मेडिकल इमरजेंसी', राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर AIIMS विशषज्ञों का सख्त अलर्ट

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 08:50 AM (IST)

    दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए, AIIMS के विशेषज्ञों ने 'मेडिकल इमरजेंसी' की घोषणा की है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण के कारण सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने लोगों को सावधानी बरतने और सरकार को तत्काल कदम उठाने की सलाह दी है।

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    एम्स में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हैं प्रोफेसर डा. अनंत मोहन l जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी के बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) को मेडिकल इमरजेंसी बताते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने कहा कि यह संकट अब इतना व्यापक हो चुका है कि इससे निपटने के लिए सरकारी कदम महत्वपूर्ण तो हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं। इसके लिए सरकार को युद्ध स्तरीय प्रयास करने होंगे।

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    एम्स के पल्मोनरी व क्रिटिकल केयर स्लिप मेडिसिन के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अनंत मोहन और उनके सहयोगी डा. सौरभ मित्तल ने प्रेस वार्ता में कहा, दिल्ली का बढ़ता वायु प्रदूषण केवल फेफड़ों को ही नहीं, बल्कि गर्भवती महिलाओं, गर्भस्थ व नवजात शिशुओं, बुजुर्गों और हृदय-मस्तिष्क संबंधी रोगियों के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। यह लोक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल की स्थिति है।

    ‘आज की जहरीली हवा’ कल की गंभीर बीमारी’

    उन्होंने चेतावनी दी कि ‘आज की जहरीली हवा’ कल की गंभीर बीमारी’ है। अगर अभी नहीं संभले, तो भविष्य की पीढ़ियों का स्वास्थ्य इसकी भारी कीमत चुकाएगा। डा. अनंत मोहन ने बताया कि बढ़ते वायु प्रदूषण का सबसे गहरा असर गर्भवती महिलाओं पर देखा जा रहा है। हवा में मौजूद अल्ट्रा-फाइन पार्टिकल्स मां के शरीर के जरिए गर्भस्थ शिशु तक पहुंच रहे हैं, जिससे भ्रूण की वृद्धि प्रभावित हो रही है।

    प्रो. डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि ऐसे बच्चों का जन्म कम वजन के साथ होने की आशंका बढ़ जाती है और आगे चलकर उनके फेफड़े कमजोर हो सकते हैं। यह प्रभाव कई बार जन्म के वर्षों बाद तक दिखाई देता है। डा. सौरभ मित्तल ने कहा कि प्रदूषण अब केवल सांस से जुड़ी बीमारियों तक सीमित नहीं रहा। लगातार जहरीली हवा में सांस लेने से फेफड़ों में सूजन, सांस फूलना, अस्थमा के दौरे और सीओपीडी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

    इसके अलावा महीन कण रक्तप्रवाह में शामिल हो हृदय और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर रहे हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। बताया कि इन दिनों प्रदूषण के कारण बीमार हुए 20 से 30 लोग अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।