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    लाल किले के सामने धमाके के बाद दिल्ली में खौफ! VHP-बौद्ध संघ ने मांगा मस्जिदों-मदरसों का सिक्योरिटी ऑडिट

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 10:18 PM (IST)

    लाल किले के सामने धमाके के बाद दिल्ली में मदरसों, मस्जिदों की सुरक्षा ऑडिट की मांग उठी है। वीएचपी और भारतीय बौद्ध संघ ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर आतंकी साजिश का अड्डा होने का आरोप है। वीएचपी ने इंटरनेट पर कट्टरपंथी गतिविधियों पर निगरानी रखने की मांग की है।

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    लाल किले के सामने धमाके के बाद दिल्ली में मदरसों, मस्जिदों की सुरक्षा ऑडिट की मांग उठी है। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लाल किले के सामने हुए आतंकी धमाके के बाद हरियाणा और उत्तर प्रदेश में मस्जिदों, मदरसों और संस्थानों का सिक्योरिटी ऑडिट शुरू होने के बाद दिल्ली में भी ऐसी ही मांगें उठी हैं। VHP और भारतीय बौद्ध संघ ने इस बारे में गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है।

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    भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंते संघप्रिय राहुल के मुताबिक, फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम दिल्ली आतंकी हमले से जुड़ा है, जो आतंकी हमले की साजिश का अड्डा बन गया है। ऐसी सभी जगहों का सिक्योरिटी ऑडिट ज़रूरी है।

    उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में मदरसों और मस्जिदों के आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने के मामले पहले भी सामने आए हैं। लाल किले पर हुए धमाके का सुसाइड बॉम्बर डॉ. उमर भी तुर्कमान गेट की एक मस्जिद में घंटों रुका था। इससे यह शक और पक्का होता है। इसी तरह, दिल्ली रोहिंग्या मुसलमानों के घुसपैठ का हब बन गया है।

    जामा मस्जिद, ओखला, सीलमपुर और निज़ामुद्दीन समेत कई जगहों पर मौजूद संस्थानों और दुकानों में संदिग्ध लोग देखे गए हैं। ऐसे में, दिल्ली पुलिस के साथ-साथ पैरामिलिट्री फोर्स को भी यह सिक्योरिटी ऑडिट मिशन मोड में करना चाहिए।

    इसी तरह, VHP के स्टेट सेक्रेटरी सुरेंद्र गुप्ता ने होम मिनिस्टर को लिखे लेटर में नेशनल कैपिटल रीजन में कट्टरपंथी गतिविधियों, इंटरनेट मीडिया पर गुमराह करने वाले प्रोपेगैंडा और संदिग्ध नेटवर्क के खिलाफ एक इंस्टीट्यूशनल, ट्रांसपेरेंट और लंबे समय तक चलने वाला मॉनिटरिंग सिस्टम बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

    उन्होंने मांग की कि मस्जिदों, मदरसों और उससे जुड़े संस्थानों में संदिग्ध गतिविधियों, बाहरी फंडिंग, भड़काऊ शिक्षाओं और गैर-कानूनी मीटिंग्स पर नज़र रखने के लिए एक इंस्टीट्यूशनल मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया जाए। इंटरनेट मीडिया पर एक्टिव ऐसे अकाउंट और चैनल जो धर्म के नाम पर युवाओं को गुमराह करने या देश विरोधी संगठनों के लिए सहानुभूति जगाने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी सिस्टमैटिक तरीके से पहचान की जानी चाहिए।