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    म्यांमार से तस्करी कर लाई गई प्रतिबंधित सिगरेट की खेप पकड़ी, दिल्ली-NCR में आपूर्ति करने वाले चार गिरफ्तार

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 09:08 PM (IST)

    दिल्ली क्राइम ब्रांच ने प्रतिबंधित सिगरेट की तस्करी करने वाले चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 31 लाख रुपये की 2.22 लाख सिगरेट बरामद हुई हैं। ये गिरोह म्यांमार से सिगरेट लाकर दिल्ली-एनसीआर में बेचता था। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच शुरू कर दी है, और गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश जारी है।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर में प्रतिबंधित सिगरेट की तस्करी में शामिल चार आरोपियों को क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 31 लाख मूल्य की 2.22 लाख प्रतिबंधित सिगरेट बरामद हुई है।

    गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सुल्तानपुरी के संतोष, नरेला के मंतोष, असम, गुवाहाटी के किशोर और नया बांस के वसीम उर्फ बादशाह के रूप में हुई है। गिरोह असम से प्रतिबंधित सिगरेट की खेप लाता था और उसे उचित दाम पर दिल्ली-एनसीआर में आपूर्ति करता था। पुलिस इनसे पूछताछ कर गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में जुटी है।

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    उपायुक्त हर्ष इंदौरा के मुताबिक, 28 अक्टूबर को असम से दिल्ली तक प्रतिबंधित सिगरेट की एक बड़ी खेप के परिवहन के संबंध में एएसआई तरुण सिंह रावत को गुप्त सूचना मिली थी। सूचना पर इंस्पेक्टर महिपाल सिंह के नेतृत्व में गठित टीम ने मोरी गेट पर छापेमारी करते हुए एक ट्रक को रोक कर तलाशी ली।

    जिसमें कुल 2.22 लाख प्रतिबंधित सिगरेट मिलीं, जिनमें 1,27,200 ब्लैक और 95,400 गोल्ड फ्लेक शामिल थे। जब्त सिगरेटों पर स्वास्थ्य और चित्रात्मक चेतावनियां नहीं थीं। कोटपा अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर पुलिस टीम ने ट्रक चालक संतोष सिंह को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया।

    पूछताछ में उसने बताया कि वह करोल बाग स्थित मेसर्स शिव शक्ति ट्रांसपोर्ट नामक एक स्वामित्व वाली फर्म चलाता है। उसने बताया कि उसे असम के लोगों से फोन और मैसेंजर के जरिये परिवहन के काम मिलते थे। वह असम के ट्रांसपोर्टरों से प्रतिबंधित सिगरेट प्राप्त करता था और उन्हें एक स्कूटर सवार की मदद से दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में लोड करवाता था।

    बाद में, उसके संचालकों के निर्देश पर माल को मोरी गेट पहुंचाया जाता था। उसने बताया कि काल करने वाले और स्कूटी चालक दोनों अपना नाम नहीं बताते थे। टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगाल स्कूटी का नंबर निकाला और स्कूटी चालक मंतोष को दबोच लिया।

    पूछताछ में मंतोष ने गुवाहाटी स्थित एक ट्रांसपोर्ट फर्म मेसर्स डबल डायनेमिक एसआर ट्रांसपोर्टेशन के लिए काम करने की बात स्वीकारी। मंतोष फर्म के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय का प्रबंधन करता था और असम स्थित एक आपूर्तिकर्ता किशोर के सीधे संपर्क में था, जिसने उनके ट्रकों का उपयोग करके दिल्ली में प्रतिबंधित सिगरेट की डिलीवरी की व्यवस्था की थी। मंतोष, संतोष और किशोर के बीच मैसेंजर चैट और वित्तीय लेन-देन से उनकी सांठगांठ की पुष्टि हुई।

    जांच के दौरान पुलिस ने असम के गुवाहाटी से दिल्ली की ओर आ रहे एक ट्रक को मुरथल टोल प्लाजा, सोनीपत (हरियाणा) के पास पकड़कर जब्त किया। इसमें बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित सिगरेट बरामद हुई। ट्रक चालक इरशाद ने बताया कि यह माल गुवाहाटी के किशोर द्वारा लोड किया गया था और दिल्ली में मंतोष से समन्वय के निर्देश मिले थे।

    प्राथमिक पूछताछ व तकनीकी विश्लेषण में पता चला कि चालक को माल की अवैध प्रकृति की जानकारी नहीं थी। आगे की जांच में पुलिस ने किशोर का पता लगाकर उसे गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में किशोर ने बताया कि प्रतिबंधित सिगरेट दिल्ली के वसीम को भेजी जा रही थी। बाद में वसीम को भी गिरफ्तार किया गया। उसने स्वीकार किया कि वह प्रति कार्टन पांच हजार से आठ हजार कमाता था।

    प्रतिबंधित सिगरेट की ऐसे करते थे तस्करी

    किशोर ने बताया कि प्रतिबंधित सिगरेट तस्करी का मुख्य मार्ग म्यांमार सीमा स्थित मोरेह (टेंग्नौपाल जिला) से शुरू होता है। वहां से खेप इम्फाल, नागालैंड, असम और मेघालय होते हुए गुवाहाटी पहुंचती है। इसके बाद इन्हें वैध, बिलिंग वाली खेपों में मिलाकर परिवहन किया जाता है ताकि पुलिस व कर विभाग की निगरानी से बचा जा सके। यह नेटवर्क बहु-राज्यीय, संगठित और सुव्यवस्थित तरीके से संचालित हो रहा था।

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