दिल्ली में प्रदूषण से हालात गंभीर, इंसानों की प्रजनन क्षमता पर पड़ रहा असर; एक्सपर्ट्स ने किया अलर्ट
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषण शुक्रा ...और पढ़ें
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प्रदूषण अब पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रही है।
अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी जहरीली हवा अब फेफड़ों से आगे बढ़कर पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रही है। स्थिति भयावह होती जा रही है। स्त्री व पुरुष प्रजनन विशेषज्ञों के अनुसार ‘लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से महिलाओं में अंडों (एग्स) की गुणवत्ता घटती है, गर्भधारण की संभावना कम होती है और गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। जबकि प्रदूषण से पुरुषों में स्पर्म काउंट और स्पर्म क्वालिटी गिर रही है। हवा में मौजूद प्रदूषक शुक्राणुओं के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे बांझपन की स्थिति बनने की आशंका बढ़ रही हैं।’
एम्स व दिल्ली के अन्य चिकित्सीय संस्थानों के चिकित्सक पहले ही इसे हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति घोषित कर चुके हैं। सरकार ने भी माना है कि स्थिति गंभीर है। दिल्ली के अस्पतालों व उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यहां दो लाख से अधिक ऐक्यूट रेस्पिरेटरी इल्नेस (एआइआर) के मामले सामने आ चुके हैं, विशेषकर बच्चों में। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों में ब्रांकियोलाइटिस और अस्थमा अटैक तेजी से बढ़ रहे हैं। एलर्जी व सांस लेने में तकलीफ, रुक-रुक कर सांस लेने जैसी समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं। यह सामान्य से 300 से 500 प्रतिशत अधिक है।
एम्स दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. डा. अनंत मोहन और पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट पल्मोनरी विभाग के अध्यक्ष प्रो.डा. जीसी खिलनानी चेतावनी दे चुके हैं कि यह अब साधारण प्रदूषण नहीं बल्कि पूर्ण स्वास्थ्य संकट है। रोकथाम की वर्तमान व्यवस्था इसके लिए नाकाफी है। ‘जो लोग सक्षम हैं, वे कुछ सप्ताह के लिए दिल्ली छोड़कर स्वच्छ हवा वाले स्थानों पर चले जाएं। दिल्ली की हवा अब स्वास्थ्य के लिए जहर बन गई है।’
आरएमएल व जीटीबी में विशेष प्रबंध
दिल्ली के दो बड़े सरकारी अस्पताल राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) और गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) ने प्रदूषण जनित बीमारियों के तेजी बढ़ते मामलों के चलते विशेष व्यवस्था की है। आरएमएल में अलग ओपीडी की व्यवस्था की हुई है। जीटीबी में चिकित्सा निदेशक डा. विनोद कुमार के निर्देशन में इसे लेकर जन जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। वहां इसका अलग विभाग है जो इस काम में लगा हुआ है।
प्रजनन क्षमता पर भी घातक असर
पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट यूरोलाजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्रशांत व मैक्योर अस्पताल की प्रसूति, स्त्री रोग एवं आईवीएफ विभाग की प्रमुख तथा आस्था अस्पताल की सह-संस्थापक डा. गीता जैन का कहना है कि पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण का महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन शक्ति पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ता है। डा. गीता जैन बताती हैं कि महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य लगातार प्रदूषण में रहने से गिरता जाता है, अंडाशय की क्षमता में कमी आ जाती है। विशेषकर पीएम 2.5 और एसओ-टू के संपर्क में आने से एंटी मुलियनिन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है।
एंटी मुलियनिन हार्मोन ही प्रजनन क्षमता को बढ़ाने, अंडाशय के स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक है। इसी तरह एंटरल फालिकल काउंट भी वह कम हो जाता है क्योंकि प्रदूषण उसका प्राकृतिक विकास नहीं होने देता। पुरुषों के स्पर्म्स पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है, डा. प्रशांत बताते हैं कि शुक्राणुओं की संख्या में 15 से 20 परसेंट की कमी देखी गई है। यह स्थिति प्राकृतिक गर्भाधारण मुश्किल पैदा करती है।

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