दिल्ली की 'जहरीली' हवा ने मचाया कहर, 7 साल के बच्चे की आंखें देखकर डॉक्टर भी हैरान
दिल्ली में दीपावली के बाद प्रदूषण बढ़ने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अस्पतालों में आंखों में जलन, खांसी और बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर हवा में जहरीले कणों को इसका कारण बता रहे हैं, जिससे बच्चों के फेफड़ों में सूजन हो रही है। अभिभावक बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और स्कूलों के खुलने का डर सता रहा है।
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अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। सात वर्षीय आरव की आंखें सूजन के साथ लाल हो गईं हैं। खांसी-बुखार से खाना-सोना दोनों मुश्किल है। यह स्थिति तीन दिनों से बनी हुई है। दिल्ली के दरियागंज निवासी आरव की मां माया देवी इस बात को लेकर हैरान-परेशान हैं कि आरव की आंखों का लालपन खत्म क्यों नहीं हो रहा, उसने तो पटाखे भी नहीं चलाए और घर से भी ज्यादा बाहर नहीं निकला।
लोक नायक अस्पताल की पांचवी मंजिल पर बच्चों की ओपीडी के दवा केंद्र पर दवा लेने लाइन में लगी उनकी आखें आरव की यह स्थिति देख रह-रह कर सजल हो जा रही थी। चिकित्सकों का कहना है कि आरव और उस जैसे बच्चों की यह स्थिति दीपावली के बाद दिल्ली की हवा में प्रदूषित कणों की अधिकता के कारण है।
दिल्ली के दो प्रमुख अस्पतालों लोक नायक व जीबी पंत की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले बच्चों में से करीब 40 प्रतिशत आंखों में जलन, खांसी–बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
मायादेवी ने बताया कि आरव को तीन दिन से आंखों में जलन के साथ पानी निकल रहा है, बुखार और खांसी भी है। कहाकि डाक्टर बोले हैं कि हवा में ज़हर घुल गया है, जिससे फेफड़ों में सूजन हो रही है। इसी से खांसी और बुखार है। आंखों में जलन और पानी भी हवा की खराबी के कारण है। छह वर्षीय नितिन को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
विक्रमनगर निवासी उसके माता-पिता को उसके स्कूल खुलने से डर लग रहा है। नितिन के पिता सूरज जागलान की चिंता इस बात की कि बाहर हवा इतनी खराब है, नितिन को स्कूल कैसे भेजें जब घर में ही उसकी खांसी और आंखों की जलन नहीं रुक रही।
दीपावली अवकाश के बावजूद लोक नायक अस्पताल में इस समय प्रतिदिन औसतन 600 बच्चे ओपीडी में पहुंच रहे हैं। इनमें से 40 प्रतिशत के करीब बच्चों को खांसी, आंखों में लालिमा, गले में खराश और बुखार जैसी शिकायतें हैं।
जीबी पंत की भी यही स्थिति बताई गई। यहां प्रतिदिन ओपीडी में औसतन 500 बच्चे पहुंच रहे हैं, जिनमें से करीब 35 प्रतिशत को प्रदूषण से जुड़ी तकलीफें की शिकायत लेकर आ रहे हैं।
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आइएमए मुख्यालय के वित्त सचिव और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. पीयूष जैन का कहना है कि दीपावली के बाद दिल्ली की हवा में घुले जहरीले कण (पीएम2.5 व पीएम10) बच्चों के विकसित हो रहे नाज़ुक फेफड़ों को छलनी कर रहे हैं। कई स्थानों पर एक्यूआइ 400 के पार है, जिससे अस्थमा जैसे लक्षण अब उन बच्चों में भी दिख रहे हैं, जिन्हें पहले सांस संबंधी कोई समस्या नहीं थी।
जीबी पंत अस्पताल में 10 वर्षीय राधिका के पिता सूरज मेघवाल ने बताया कि दो दिन से राधिका की आंखें जल रही हैं, रात को खांसी से सो नहीं पाती। हम घर की खिड़कियां बंद रखते हैं, फिर भी यह स्थिति हो गई। डा. पियूष जैन ने बताया कि बच्चे भागा-दौड़ी ज्यादा करते हैं तो सांस की उस अनुरूप ज्यादा लेते ही लेते हैं, उनके फेफड़े सामान्य व्यक्ति की तुलना में नाजुक होते हैं, इसलिए प्रदूषित हवा उनके फेफड़ों को और जल्दी नुकसान पहुंचाती है।
दिल्ली में दीपावली अवकाश अभी जारी है। 24 अक्टूबर शुक्रवार से ज्यादातर स्कूल खुलेंगे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि स्कूल के लिए बच्चे सुबह की जहरीली हवा में निकलेंगे, जिससे खांसी और नेत्र रोगों के मामले और बढ़ सकते हैं। क्योंकि तापमान कम होने से सुबह और शाम मौसम में ठंडक बढ़ गई है। दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण माया और सूरज जैसे माता-पिता की चिंता अब दिल्ली के हर घर की कहानी बनती जा रही है, जहां दीपावली की रोशनी तो खत्म हो गई पर, उसका धुआं उनके नन्हें-मुन्नों की आंखों और सांसों की तकलीफ बढ़ा रहा है।
चिकित्सकों की सलाह
- बच्चों को खुले में कम से कम जो दें, बाहर निकलते समय मास्क पहनाएं
- घर की खिड़कियां बंद रखें
- आंखों में जलन होने पर ठंडे पानी से धोएं, चिकित्सकीय सलाह के अनुरूप ही आइ-ड्राप डालें
- विटामिन सी युक्त फल (संतरा, नींबू) और पर्याप्त पानी दें
- लगातार खांसी, सांस फूलना या ज्यादा बुखार होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं
- स्कूलों में क्लासरूम का वेंटिलेशन और मास्क वितरण सुनिश्चित करें

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