दिल्ली को बिना किसी रुकावट के मिलती रहेगी बिजली, इस सर्दी में 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है मांग
दिल्ली में सर्दी के आगमन के साथ ही बिजली की मांग में वृद्धि होने लगी है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मांग 6000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। बिजली वितरण कंपनियों ने नेटवर्क सुधार और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। मांग का अनुमान लगाने के लिए आधुनिक तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जा रहा है।
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दिल्ली में इस बार बिजली की डिमांड 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सर्दी के साथ ही बिजली की मांग भी बढ़ने लगी है। पिछले वर्ष सर्दी के मौसम में अधिकतम मांग मांग 5655 मेगावाट तक पहुंची थी। इस बार यह बढ़कर 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है। इसे ध्यान में रखकर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। नेटवर्क में सुधार करने के साथ ही बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
डिस्कॉम अधिकारियों का कहना है कि अत्याधुनिक तकनीक माध्यम से बिजली की मांग का अनुमान लगाया जाता है। दिल्ली में बिजली की मांग में उतार-चढ़ाव में मौसम की बड़ी भूमिका होती है, इसलिए बिजली की मांग का अनुमान लगाने में मौसम पूर्वानुमान का भी उपयोग किया जाता है। बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की भी मदद ली जा रही है।
बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) में अधिकतम मांग लगभग 2570 मेगावाट और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) क्षेत्र में करीब 1350 मेगावाट पहुंच सकती है। बीएसईएस प्रवक्ता का कहना है कि दक्षिण, पश्चिम, पूर्वी और मध्यम दिल्ली में सुचारू बिजली आपूर्ति के लिए तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। 2336 मेगावाट बिजली अक्षय व स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों से की जाएगी। इनमें सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, हाइड्रो पावर, कचरे से बनने वाली बिजली शामिल है। यानी बीएसईएस क्षेत्र में कुल मांग में से लगभग 50 प्रतिशत आपूर्ति हरित बिजली से होगी।
टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के वितरण क्षेत्र में 2100 मेगावाट से अधिक मांग पहुंच सकती है। टीपीडीडीएल प्रवक्ता का कहना है कि दीर्घकालिक बिजली समझौतों के माध्यम से पर्याप्त बिजली की व्यवस्था की गई है। महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की निरंतर निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए समर्पित टीमें तैनात की गई हैं। प्रमुख सबस्टेशनों, फीडरों और अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों की जांच की जा रही है।

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