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    दिल्ली में MP-MLA कोर्ट का दायरा बढ़ा, सीएम रेखा गुप्ता के प्रपोजल को एलजी वीके सक्सेना ने दी मंजूरी

    By SANJEEV KUMAR GUPTAEdited By: Kushagra Mishra
    Updated: Wed, 15 Oct 2025 03:36 PM (IST)

    दिल्ली में अब पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के मामलों की सुनवाई विशेष अदालतें करेंगी। उपराज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में विशेष अदालतों की कार्यक्षमता बढ़ेगी। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने के लिए उठाया गया है। पहले से ही बच्चों से संबंधित अपराधों के लिए आठ विशेष अदालतें अधिसूचित हैं।

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    दिल्ली में MP-MLA कोर्ट का दायरा बढ़ा, सीएम रेखा गुप्ता के प्रपोजल को एलजी वीके सक्सेना ने दी मंजूरी

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए गठित तीन विशेष अदालतों का दायरा अब बढ़ा दिया गया है। अब ये अदालतें पूर्व सांसदों (Ex-MPs) और पूर्व विधायकों (Ex-MLAs) से जुड़े मामलों की भी सुनवाई करेंगी। 

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    दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से भेजे गए इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह कदम राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स में मौजूद विशेष अदालतों की कार्यक्षमता को और व्यापक बनाएगा। यह कदम न्यायिक प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।

    जुलाई 2023 में उपराज्यपाल सक्सेना ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत मामलों की सुनवाई के लिए तीन विशेष अदालतों की स्थापना को मंजूरी दी थी।

    गौरतलब है कि यह अधिसूचना दिल्ली उच्च न्यायालय के 2020 के निर्देशों के बाद जारी की गई थी, लेकिन पूर्व केजरीवाल सरकार ने इसे अधिसूचित करने में तीन वर्ष से अधिक की देरी की थी।

    महिला एवं बाल विकास (WCD) विभाग की ओर से तैयार यह प्रस्ताव धारा 25 (CPCR अधिनियम) और धारा 28 (POCSO अधिनियम) के अंतर्गत उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा गया था, जिसे विधि विभाग ने विधिसम्मत करार दिया।

    इन तीन अदालतों के अतिरिक्त, दिल्ली में पहले से ही 8 विशेष अदालतें बच्चों से संबंधित अपराधों, बाल अधिकारों के उल्लंघन और POCSO अधिनियम के मामलों की सुनवाई के लिए अधिसूचित की जा चुकी हैं।

    कानून के प्रावधानों के अनुसार POCSO अधिनियम की धारा 28(1) के तहत राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद, प्रत्येक जिले में एक सेशन कोर्ट को विशेष अदालत के रूप में नामित कर सकती है ताकि बच्चों के खिलाफ अपराधों का शीघ्र निपटारा हो सके।

    वहीं CPCR अधिनियम की धारा 25 के अनुसार, बच्चों के अधिकारों के उल्लंघन या अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए राज्य सरकार, उच्च न्यायालय की सहमति से एक या अधिक अदालतों को "बाल अदालत" घोषित कर सकती है।

    वर्तमान में इस तरह की तीन अदालतें हैं

    • कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-09, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स, दिल्ली
    • कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-23, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स, दिल्ली
    • कोर्ट ऑफ स्पेशल जज (पीसी एक्ट)(सीबीआई)-24, राउज एवेन्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स, दिल्ली

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