फरीदाबाद में विस्फोटक मिलने के बाद भी हाई अलर्ट क्यों नहीं था? दिल्ली में धमाका होने के कई एंगल आए सामने
दिल्ली से सटे फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने के बाद भी दिल्ली पुलिस की लापरवाही सामने आई है। पुलिस नेटवर्क तक पहुंचने में विफल रही, जिससे आतंकी उमर विस्फोटक लेकर दिल्ली में घुस गया और लाल किले पर हमले की साजिश रची। दिल्ली और फरीदाबाद पुलिस दोनों सवालों के घेरे में हैं, क्योंकि खुफिया तंत्र की नाकामी और सुरक्षा में चूक हुई।
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दिल्ली से सटे फरीदाबाद में भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद होने के बाद भी दिल्ली पुलिस की लापरवाही सामने आई है।
स्वदेश कुमार, नई दिल्ली। दिल्ली से सटे फरीदाबाद में पहले 360 किलो, फिर 2563 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। फरीदाबाद पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वाहवाही बटोरने की कोशिश की। लेकिन, पुलिस पूरे नेटवर्क तक पहुंचने या पूरी खेप का पता लगाने में नाकाम रही, जबकि इस नेटवर्क तक पहुंचने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ 15 दिनों से काम किया जा रहा था।
इसी नेटवर्क का एक आतंकी डॉ. उमर बाकी खेप कार से दिल्ली ले गया। फिर उसने लाल किले जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल पर आत्मघाती हमला किया। फरीदाबाद के साथ-साथ दिल्ली पुलिस भी इस पूरे प्रकरण में कटघरे में है। हर स्तर पर नाकामी ने दिल्ली को गहरा जख्म दिया।
दिल्ली-एनसीआर पुलिस के बीच तालमेल की कमी को उजागर करने वाली यह घटना खुफिया तंत्र की नाकामी को भी उजागर करती है। कुल 2923 किलो विस्फोटक बरामद होने के बाद भी दिल्ली पुलिस बेसुध रही। जहां हाई अलर्ट होना चाहिए था, वहां भी पुलिस हाई अलर्ट पर नहीं थी। सीमा पर वाहनों की चेकिंग भी नहीं हुई। यही वजह है कि आतंकी विस्फोटकों से लदी कार लेकर दिल्ली में घुसा।
बदरपुर होते हुए लाल किले की पार्किंग तक 16 किलोमीटर का रास्ता तय किया, लेकिन किसी ने उसकी गाड़ी की जाँच नहीं की। कम से कम फरीदाबाद से आने वाले वाहनों पर तो नज़र रखी जानी चाहिए थी। पार्किंग में आने वाले वाहनों की जाँच की कोई व्यवस्था नहीं थी।
लाल किले जैसी जगहें आतंकियों के निशाने पर हो सकती हैं। फिर भी, पार्किंग में आने वाले वाहनों की जाँच की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसी लापरवाही के चलते डॉ. उमर अपने मंसूबों को अंजाम दे पाया। केंद्रीय एजेंसियाँ नाकाम हो रही हैं, लेकिन दिल्ली और फरीदाबाद पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकती।
दोनों ही पुलिस विभागों के पास सीआईडी के रूप में ख़ुफ़िया एजेंसियाँ हैं। ये सभी संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखती हैं। हालाँकि, दोनों ही जगहों पर उनकी नाकामी साफ़ दिखाई दी। फरीदाबाद के धौज और फतेहपुर तगा जैसे रिहायशी इलाकों में इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक कैसे पहुँच गया?
इतना विस्फोटक एक-दो दिन में इकट्ठा नहीं किया जा सकता। फतेहपुर तगा तक सिर्फ़ सड़क मार्ग से ही पहुँचा जा सकता है, ज़ाहिर है कि यह ज़िलों की सभी चौकियों को पार करके किसी सुरक्षित जगह पहुँच गया होगा। पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। दिल्ली पुलिस ने मामला एनआईए के पास होने का हवाला देकर लापरवाही के सवालों को टाल दिया।
हमारी पुलिस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई की वजह से ही इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक समय रहते बरामद हो पाए। वरना इतने विस्फोटकों से बड़ा हादसा हो सकता था। बाकी की जाँच दिल्ली की स्पेशल सेल कर रही है। स्थानीय स्तर पर संदिग्ध जगहों की जाँच जारी है। इस मामले में जो भी शामिल होगा, उसे गिरफ्तार किया जाएगा। - सतेंद्र कुमार गुप्ता, पुलिस कमिश्नर, फरीदाबाद

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