Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    जीबी पंत अस्पताल में अमानवीय कार्य घंटों के मामले में होगी इंक्वाइरी, जांच समिति की गई गठित

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 01:52 AM (IST)

    जीबी पंत अस्पताल में अमानवीय कार्य घंटों और एक डॉक्टर के इस्तीफे के बाद अस्पताल प्रशासन ने एक जांच समिति का गठन किया है। यह समिति रेजिडेंट डॉक्टरों के कार्य मानदंडों की समीक्षा करेगी और तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। यह कदम एक आरटीआई के जवाब में उठाया गया है, जिसमें डॉक्टर के अत्यधिक कार्य घंटों और शोषण का आरोप लगाया गया था।

    Hero Image

    जीबी पंत अस्पताल में अमानवीय कार्य घंटों परिस्थितियों की जांच के लिए समिति गठित।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जीबी पंत अस्पताल में अमानवीय कार्य घंटों और कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ रेजिडेंट (एसआर) डा. अमित कुमार के हालिया त्यागपत्र और इसे लेकर उनकी पत्नी के उत्पीड़ संबंधी पत्र के बाद अस्पताल प्रशासन ने छह सदस्यीय जांच समिति गठित की है। यह निर्णय अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डा. एमए गिलानी के नेतृत्व में शनिवार को हुई बैठक में लिया गया। इसके बाद जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जांच समिति की अध्यक्षता डाॅ. संजीव सचदेवा (एचओडी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) करेंगे। समिति में डाॅ. पीएस बिस्वास (एचओडी, साइकियाट्रिस्ट), डा. हरप्रीत एस मिन्हास (प्रोफेसर एवं एचओडी, सीटीवीएस), डाॅ. नीरा चौधरी (एचओडी, न्यूरोलाजी), डाॅ. गौरव शर्मा (एसआर, कार्डियोलाजी) और डाॅ. भानु तेजा (एसआर, न्यूरोसर्जरी) शामिल हैं।

    इस छह सदस्यीय जांच समिति को डाॅ. अमित कुमार के मामले की जांच करने और रेजिडेंट्स (जूनियर, सीनियर, पीजी, एमसीएच/डीएम छात्रों व इंटर्न) के कार्य मानदंडों व ड्यूटी घंटों की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है। समिति इन शेड्यूल्स में एकरूपता लाने के उपाय सुझाएगी और तीन कार्य दिवसों के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करेगी।

    अस्पताल प्रशासन ने यह कदम डाॅ. रिषु सिन्हा, प्रथम वर्ष डीएम कार्डियोलाजी रेजिडेंट की आरटीआई के बाद उठाया गया, जिसमें उन्होंने अपने पति डाॅ. अमित कुमार के कार्य घंटों का विवरण मांगा था। उनके 12 अक्टूबर 2025 को दिए त्यागपत्र से पहले एक माह की कूलिंग अवधि व काउंसलिंग का आरोप लगाया।

    उन्होंने आरटीआई में अपने पति डाॅ. अमित कुमार के 36 घंटे की लगातार ड्यूटी, नींद की कमी, जलन, शोषण और अपमान का उल्लेख किया था। उन्होंने 2024 के नेशनल टास्क फोर्स रिपोर्ट का भी हवाला दिया था, जिसमें मेडिकल छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को अत्यधिक ड्यूटी घंटों का उल्लेख था।

    यह भी पढ़ें- जब GST दर घटाई जा सकती है तो दिव्यांगों को रियायत क्यों नहीं दी? दिल्ली HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब