नाबालिग से बलात्कार के मामले में 10 साल बाद तीन दोषी करार, सजा सुनकर चौंक जाएंगे आप!
रोहिणी कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में हरियाणा के तीन युवकों को सजा सुनाई है। एक को साढ़े 31 साल और दूसरे को 25 साल की कैद हुई है। तीसरे दोषी को साढ़े नौ साल की सजा मिली है। आरोपियों पर जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने कहा कि आरोपियों ने पीड़िता के जीवन और सम्मान का उल्लंघन किया। पीड़िता ने 2015 में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने अपहरण और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।

रोहिणी कोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में हरियाणा के तीन युवकों को सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। रोहिणी जिला न्यायालय ने नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में हरियाणा के तीन युवकों को सजा सुनाई है। एक को साढ़े 31 साल और दूसरे को 25 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। तीसरे को साढ़े नौ साल कैद की सजा सुनाई गई है।
दोषियों पर क्रमशः 30,000 रुपये और 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि सभी आरोपी पीड़िता के जीवन और सम्मान के अधिकार की अवहेलना करते हुए अपनी हवस मिटाने पर आमादा थे। ऐसी पीड़िताएं आजीवन तनाव, चिंता और अकेलेपन से ग्रस्त रहती हैं। उस भयावह घटना की यादें उनके मन में बसी रहती हैं और ऐसे बच्चे शायद ही कभी सामान्य जीवन जी पाते हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीति सूरी मिश्रा ने लगभग 10 साल पुराने एक दुष्कर्म मामले की सुनवाई करते हुए पिछले शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने नाबालिग से दुष्कर्म के तीनों आरोपियों को सजा सुनाई। दोषी दिनेश उर्फ मोनू (हरियाणा के झज्जर जिले के दबोधा गांव का निवासी) को पोक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत 25 साल कैद, अपहरण और अपराध का प्रयास (आईपीसी) की धारा 365 और 511 के तहत तीन-तीन साल और जान से मारने की धमकी (आईपीसी) की धारा 506 और हमला (323) के लिए छह महीने कैद की सजा सुनाई गई है।
दोषी सत्यप्रकाश उर्फ कालू (हरियाणा के रोहतक जिले के लाहली गांव का निवासी) को आईपीसी की धारा 376 (2) के तहत 25 साल कैद की सजा सुनाई गई है। तीसरे दोषी विनोद उर्फ अमित (हरियाणा के झज्जर जिले के भंभेवा गांव का निवासी) को पोक्सो एक्ट की धारा 12, अपहरण, अपराध का प्रयास और हत्या के तहत तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है। दोषी को हमले की धारा के तहत छह महीने कैद की सजा काटनी होगी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
अतिरिक्त लोक अभियोजक योगिता कौशिक दहिया ने अदालत से आरोपियों के लिए अधिकतम सजा की मांग करते हुए तर्क दिया कि पीड़िता आठवीं कक्षा की छात्रा थी और अपराध के समय उसकी उम्र लगभग 15 वर्ष थी। आरोपियों ने उसे बार-बार फोन किया, उसे मिलने के लिए मजबूर किया और धमकाया। दबाव इतना ज़्यादा था कि वह डर गई और मजबूर होकर उनसे मिलने चली गई।
पीड़िता ने चलती गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचाई
पीड़िता ने 29 जनवरी, 2015 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। अपने बयान में, उसने बताया कि 31 दिसंबर, 2013 को उसने आरोपी सत्य प्रकाश उर्फ कालू की एक कार किराए पर ली और अपने परिवार के साथ नगरकोट (हिमाचल प्रदेश) गई। इस दौरान, उसने कालू की कार से उसका मोबाइल नंबर हासिल किया और बाद में उसे फोन किया।
इसके बाद, आरोपी कालू और दिनेश उर्फ मोनू ने उसे बार-बार फोन किया और वह उनसे मिली भी। पहली बार जब वह आरोपी सत्य प्रकाश उर्फ कालू से मिलने गई, तो वह उसे उसके स्कूल के पीछे ले गया। उसने कार के अंदर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और फिर उसे उसके घर के पास छोड़ दिया। कुछ दिन बाद मोनू ने उसे फोन कर छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें कीं।
पीड़िता के मुताबिक, विनोद उर्फ अमित उससे मोनू के जरिए बात करता था। 29 जनवरी 2015 को उसने बार-बार फोन करके उसके पिता को जान से मारने की धमकी दी। मोनू और अमित उसे कार में बिठाकर ले गए। मोनू ने उस पर विनोद उर्फ अमित से दोस्ती करने का दबाव बनाया, जब उसने मना किया तो अमित ने उसका मुंह और गला दबा दिया।
अमित ने मोनू से कार जंगल की तरफ ले चलने को कहा। इसके बाद वह चलती कार से कूद गई जिससे उसके हाथ में चोट लग गई। उसने घर आकर पिता को बताया। फिर पुलिस को बुलाकर एफआईआर दर्ज कराई गई।
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