दिल्ली में देखिए राजस्थान का हवा महल, गया का महाबोधि मंदिर और महाराष्ट्र के 12 दुर्ग, एक ही जगह मिलेगी पूरी झलक
दिल्ली के भारत मंडपम में 44वें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में, देश के विभिन्न राज्यों की झलकियां दिखाई गई हैं। दिल्ली मंडप लाल किले, राजस्थान मंडप हवा महल, और बिहार मंडप महाबोधि मंदिर के रूप में प्रस्तुत किए गए हैं। महाराष्ट्र ने अपने 12 दुर्गों को दर्शाया है। मेले में रविवार को दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी, खासकर बिहार के पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल पर।

44वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भाग ले रहे हैं।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली के भारत मंडपम में इन दिनों एक ही छत के नीचे देश के विभिन्न पर्यटक स्थलों को देखा जा सकता है। न केवल लाल किला और इंडिया गेट बल्कि हवा महल, महाबोधि मंदिर एवं मराठा दुर्ग सहित और भी बहुत कुछ शामिल है।
शुक्रवार से शुरू हुए 44वें भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में 30 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भाग ले रहे हैं। हर राज्य- केंद्र शासित प्रदेश के मंडप को अलग ढंग से डिजाइन किया गया है। अगर हम सबसे पहले दिल्ली मंडप की बात करें तो इसका डिजाइन लाल किला की प्राचीर पर आधारित है।
इस मंडप को लालकिले के डिजाइन में बनाया गया है। वैसे ही गुंबद और जिस तरह से गेरुआ रंग के पत्थर की बाउंड्री लाल किले की है, बिल्कुल उसी डिजाइन में दिल्ली का मंडप बनाया गया है।मंडप के मुख्य द्वार पर लालकिले का अग्र भाग देखने को मिलता हैख् जिसके बीच में तिरंगा लगाया गया है। मंडप के बीचोंबीच हुबहू इंडिया गेट की प्रतिकृति बनाई गई है।
अगर राजस्थान मंडप की बात करें तो इसके डिजाइन में हवा महल को शामिल किया गया है। हवा महल को इस मंडप के बिल्कुल मुख्य द्वार के नजदीक दर्शाया गया है और उसे एक भव्य रूप दिया गया है।
बिहार मंडप की बात करें तो इसके डिजाइन में गया जी का महाबोधि मंदिर शामिल किया गया है। मंडप की बाउंड्री पर मधुबनी पेंटिंग की गई है और पेंटिंग के माध्यम से बिहार के तीर्थ स्थलों को भी दर्शाया गया है। महाराष्ट्र के मंडप में राज्य के जो 12 दुर्ग हैं, उनको प्रदर्शित किया गया है। मंडप के अंदर दुर्ग की रिप्लिकाओं को दिखाया गया है।
इनमें शिवनेरी, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, लोहगढ़, पन्हाला, जिंजी, साल्हेर, खांदेरी, प्रतापगढ़, विजय दुर्ग, सिंधु दुर्ग और राजगढ़ शामिल हैं। हालांकि महाराष्ट्र के मंडप में किसी किले के डिजाइन का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के मंडप को भव्य रूप से डिजाइन किया गया है, लेकिन किसी किले का डिजाइन इसमें शामिल नहीं किया गया है।8 इस मंडप में मुख्य रूप से एक जिला एक उत्पाद को प्रदर्शित किया गया है। असम के मंडप के डिजाइन में गैंडा को शामिल किया गया है।
मंडप के मुख्य द्वार पर ही गैंडे को प्रदर्शित किया गया है, जो वहां का राज्य पशु है। हिमाचल प्रदेश और नागालैंड के मंडप के डिजाइन में वहां की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाया गया है। इनमें किसी किले के डिजाइन को शामिल नहीं किया गया है। वहीं झारखंड के मंडप में बिरसा मुंडा को प्रमुखता दी गई है। उनकी एक बड़ी प्रतिमा भी मंडप में स्थापित की गई है।
रविवार को छुट्टी के दिन बढी अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले की रौनक
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के तीसरे दिन रविवार को अच्छी खासी रौनक देखने को मिली। मेला घूमने के लिए दर्शक 500 रुपये वाली महंगी टिकट खरीद कर पहुंचे थे। मेले में सभी हालों, राज्य मंडपों से लेकर खाने पीने के स्टाल तक पर भीड़ देखी गई।
हाल नंबर एक में साझीदार राज्य बिहार मंडप में गया से आए मल्टीफूड्स के स्टाल पर बिहार के पारंपरिक पकवान व मिष्टान ठेकुआ, अनरसा एवं तिलकुट मेला दर्शकों को खूब भाया। स्टाल के संचालक रंजय सिंह ने बताया कि हम यहां पर 180 प्रकार के उत्पाद लेकर आए हैं। गजक एवं अन्य उत्पाद भी लोग काफी खरीद रहे हैं।
रविवार को सरस मंडप में काफी भीड़ रही। लोगों ने यहां खरीदारी भी की। इस दौरान ग्रामीण कलाओं काे काफी सराहना मिली। साथ ही दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, पंजाब मंडप में भी भीड़ देखने को मिली। हाल नंबर 14 में सभी तरह के स्टाल लगे हुए हैं। यहां घरेलू सामान मिल रहा है। हाल नंबर छह में खादी से बने उत्पादों की भरमार है। जो लोग खादी व हस्तकरघा निर्मित उत्पादों के कद्रदान है, उनकी भीड़ यहां पर देखने को मिलती है। विदेशी मंडप में युवाओं की भीड़ ज्यादा देखी जा सकती है।

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