इंडिगो की लेटलतीफी से आईजीआई में होता रहा हंगामा, उड़ान रद होने के डर से यात्री दिखे बेचैन
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इंडिगो की उड़ानों में देरी के कारण यात्रियों को भारी परेशानी हुई। उड़ानें रद्द होने के डर से यात्र ...और पढ़ें

इंडिगो की लेटलतीफ उड़ानों से दिनभर हल्कान रहे यात्री। पीटीआई
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। बुधवार का दिन आईजीआई एयरपोर्ट के लिए काफी परेशानियों से भरा रहा। इंडिगो की उड़ानों में एक के बाद उड़ानों में विलंब का सिलसिला जो सुबह शुरू हुआ, वह पूरे दिन कायम रहा। टर्मिनल के अंदर यात्री परेशान होते रहे। उड़ान में कितना और विलंब होगा, क्या रद होगा, भ्रम की इस स्थिति को दूर करने के लिए यात्रियों के पास कोई भी नहीं था।
उधर, टर्मिनल से बाहर घर में उनके स्वजन को इस बात की चिंता सताए जा रही थी कि विलंब का यह ग्राफ कहां तक और चढ़ेगा और कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि अंत में घंटों की प्रतीक्षा के बाद उनकी उड़ान को रद कर दिया जाएगा। परेशान यात्रियों व इनके स्वजन ने अपनी पीड़ा को इंटरनेट मीडिया पर बयां किया।
पंकज पारिक नामक यूजर पोस्ट करते हैं कि उनके माता पिताजी की भुवनेश्वर की उड़ान मंगलवार को थी। अफसोस की बात है कि मंगलवार को उनकी उड़ान को रद किया गया। बाद में अनुरोध पर उसे रिशेडयूल करके बुधवार की तिथि दी गई। यह उड़ान करीब साढ़े चार बजे की थी।
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तय समय पर करीब तीन घंटे पहले वे बुधवार को एयरपोर्ट पहुंचे लेकिन अब उड़ान को विलंबित बताया जा रहा है। माता पिताजी एयरपोर्ट पर फंस गए। अब डर इस बात का है कि कहीं यह उड़ान भी रद हो गया तो उन्हें कितनी परेशानी होगी। इस तरह की आशंका केवल पंकज की रही हो या ऐसा नहीं है, कई यात्रियों को उड़ानों के रद होने का अंदेशा पूरे दिन सताता रहा।
सुशांत तनेजा नामक यूजन ने पोस्ट करते हुए लिखा कि उनकी मुंबई की उड़ान पांच घंटे विलंबित रहीं। बाद में टिकट को रद करना पड़ा। सुकून की बात यह रही कि मेरे पास कोई चेकइन लगेज नहीं था, नहीं तो अतिरिक्त परेशानी होती।
वापोर रश नामक यूजन पोस्ट करते हैं कि गोवा की उड़ान पांच बजे की थी। इसे लेने दो बजे एयरपोर्ट पहुंचा। अब सात बजने को हैं कोई अता पता नहीं है। इससे बाद की उड़ानों में टिकट की दर सस्ती थी, यदि ऐसा ही करना था तो मुझे पहले बता दिया गया होता तो मैं बाद की उड़ानाें में टिकट बुक कराता। अब मुझे मुआवजा चाहिए।
लगेज एक अतिरिक्त परेशानी
जिन यात्रियों का चेकइन हो चुका था, उन्हें टिकट रद कराने का विकल्प तो मिला, लेकिन टिकट रद कराने के बाद भी वे लगेज के लिए घंटों इंतजार करते रहे। विरेंद्र सिंह रावत को वाराणसी से चंडीगढ़ की यात्रा करनी थी। नई दिल्ली से उनकी कनेक्टिंग फ्लाइट थी। पहले तो वाराणसी से नई दिल्ली उनकी उड़ान करीब तीन घंटे की देरी से रवाना हुई।
किसी तरह वे नई दिल्ली पहुंच गए। लेकिन उनकी असली परेशानी तब शुरू हुई जब यहां पहुंचने के बाद उन्हें बताया गया कि उनकी चंडीगढ़ की कनेक्टिंग उड़ान रद कर दी गई है। परेशानी का आलम इस बात से समझा जा सकता है कि वे साढ़े सात बजे से अपने लगेज के लिए इधर उधर भटकते रहे, लेकिन रात 10 बजे तक उन्हें लगेज नहीं मिला।

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