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    Delhi High Court: अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के कैग ऑडिट पर हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक लगाई रोक

    Updated: Thu, 22 May 2025 07:02 PM (IST)

    दिल्ली हाई कोर्ट ने अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के कैग ऑडिट पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी। अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहब की ओर से दा ...और पढ़ें

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    अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के कैग आडिट पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: अजमेर शरीफ दरगाह के खातों के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ऑडिट पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है।

    कैग अधिनियम की धारा-20 के तहत ऑडिट करने की शर्तों को पूरा नहीं करने के दरगाह के तर्कों को सही पाते हुए अदालत ने यह आदेश दिया।

    न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने  अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहब (सैयदजादगान) और अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम ख्वाजा साहब (शेखजादगान) की याचिकाओं पर विचार करने के बाद अदेश पारित किया।

    दो अंजुमनों की ओर से हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका

    एक याचिका में अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से दोनों अंजुमनों की आय और व्यय का ऑडिट करने संबंधी प्रस्ताव के संबंध में मार्च-2024 में जारी एक पत्र को चुनौती दी गई थी।

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    जबकि, दूसरी याचिका में याचिकाकर्ता सोसायटी के संबंध में कैग की ओर से किए जाने वाले ऑडिट को चुनौती दी गई थी।

    कहा- प्रस्तावित आडिट सीएजी अधिनियम की धारा 20 का उल्लंघन

    ऑडिट का आधार यह था कि कैग अधिनियम की धारा 20(1) के अनुसार राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हो चुकी है। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रस्तावित आडिट सीएजी अधिनियम की धारा 20 का उल्लंघन है।

    याचिका में तर्क दिया गया था कि जब मंत्रालय की ओर से पत्र जारी किया गया था, तब कैग ने संबंधित मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार ऑडिट करने की सहमति भी नहीं दी थी।

    कोर्ट ने पूछा- क्या ऑडिट के लिए कैग ने सहमति दी थी

    सुनवाई के दौरान अदालत ने कैग से पूछा था कि क्या कैग ने पिछले वर्ष मार्च में पत्र जारी होने के समय याचिकाकर्ता सोसायटी के ऑडिट के लिए सहमति दी थी।

    अदालत ने यह भी पूछा था कि क्या वित्त मंत्रालय की ओर से 13 जनवरी को कैग को पत्र जारी किए जाने के समय ऑडिट के संचालन के संबंध में नियम व शर्तों पर सहमति थी या नहीं?

    हालांकि, कैग की तरफ से दोनों ही प्रश्नों का नहीं में उत्तर दिया गया था। अदालत ने अगली सुनवाई तक कैग की ओर से कोई और कदम उठाने पर रोक लगा दी। मामले में सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

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