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    सांसदों को तो ब्रांडेड और कर्मचारी को जेनरिक दवा ... हैसियत और पद के आधार पर दवा देने की स्वस्थ्य मंत्री से शिकायत

    सीजीएचएस लाभार्थी कल्याण संघ ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से दवा वितरण में विसंगति की शिकायत की है। सांसदों को ब्रांडेड दवा मिल रही है जबकि कर्मचारियों को जेनरिक दवा दी जा रही है। संघ ने लाभार्थियों के लिए दवा मानकों में एकरूपता की मांग की है और चिकित्सा बिलों का भुगतान भी रुका हुआ है जिससे कर्मचारी परेशान हैं।

    By rais rais Edited By: Kushagra Mishra Updated: Thu, 28 Aug 2025 07:15 PM (IST)
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    सांसदों को ब्रांडेड और कर्मचारियों को जेनेरिक दवा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से शिकायत।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) औषधालयों से दवा वितरण में विसंगति की शिकायत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा से की गई है।

    सीजीएचएस लाभार्थी कल्याण संघ ने बताया कि सांसदों या माननीयों को औषधालय से ब्रांडेड दवा मिल रही है, जबकि केंद्रीय कर्मचारियों को सामान्य जेनेरिक दवा दी जाती है।

    संघ ने लाभार्थियों के लिए दवा मानकों में विसंगति दूर करते हुए एकरूपता लागू करने की मांग की है।सीजीएचएस लाभार्थी कल्याण संघ के मुताबिक लाभार्थियों को उनकी सामाजिक स्थिति और पद के आधार पर अलग-अलग मानकों के अनुसार चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है।

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    संसद भवन स्थित सीजीएचएस औषधालय सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को ब्रांडेड कंपनियों के फार्मूलेशन की दवा उपलब्ध कराता है।

    इसके विपरीत देशभर के सीजीएचएस औषधालय प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत आपूर्ति की गईं जेनेरिक दवाएं ही अन्य लाभार्थियों को वितरित कर रहे हैं।

    संघ के महासचिव टीके दामोदरन के मुताबिक यह विसंगति सीजीएचएस ढांचे के भीतर चिकित्सा उपचार की एकरूपता, गुणवत्ता और समता पर सवाल है।

    इस मुद्दे को समय-समय पर इंटरनेट मीडिया पर भी उठाया जाता रहा। अब संघ ने पत्र लिखकर विसंगति की जांच करने के साथ ही उपचार की असमानता को दूर करने की मांग की गई है।

    औषधालय में बिलों का भुगतान भी रुका

    अलग-अलग अस्पतालों में इलाज करा चुके केंद्रीय कर्मचारियों को पिछले कई महीने से उनके चिकित्सा बिलों का भुगतान ही नहीं हो रहा है। संघ के मुताबिक सीजीएचएस के लगभग सभी औषधालय की यही स्थिति है।

    एडिशनल डायरेक्टर कार्यालय की ओर से बिल पास होने के बाद ही कर्मचारियों को भुगतान मिलता है। बिलों का भुगतान लंबित होने से कर्मचारी परेशान हैं।

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