दिल्ली क्रिकेट में सुधार की कमी, लापरवाह कौन? डीडीसीए या कोई और...
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि रणजी ट्रॉफी जैसे महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों में टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। अन्य राज्य फिटनेस कैंप आयोजित कर रहे हैं जबकि डीडीसीए ट्रायल कैंप को लेकर भी गंभीर नहीं है। सपोर्ट स्टाफ और समितियों का गठन भी अधूरा है जिससे खिलाड़ियों में निराशा है। डीडीसीए की यह उदासीनता खिलाड़ियों पर भारी पड़ रही है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) एक बार फिर पुरानी पटरी पर चलता नजर आ रहा है। पिछले कई सालों से रणजी ट्रॉफी, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी में दिल्ली की टीम का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, लेकिन सुधार के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और मध्य प्रदेश जैसी टीमें जहां फिटनेस कैंप और ट्रायल मैच आयोजित कर रही हैं, वहीं दिल्ली में अब तक ट्रायल कैंप के बारे में विचार तक नहीं किया गया है। डीडीसीए की यह उदासीनता खिलाड़ियों पर भारी पड़ रही है।
डीडीसीए हर साल दो दिवसीय ट्रायल कैंप आयोजित करता है। यह 15 से 20 दिन का होना चाहिए। इसमें करीब 400 खिलाड़ियों में से सिर्फ 60 का ही चयन हो पाता है। दो दिन में 400 खिलाड़ियों का ट्रायल महज औपचारिकता बनकर रह जाता है?
इस बार दिल्ली की टीम ने देहरादून में हो रहे ऑल इंडिया गोल्ड कप से नाम वापस ले लिया है, जबकि उत्तर प्रदेश रेलवे और चंडीगढ़ की टीम हिस्सा ले रही है। दिल्ली की टीम के लिए न तो अभी तक सपोर्ट स्टाफ तय हुआ है और न ही क्रिकेट सलाहकार समिति का गठन हुआ है।
इन हालातों से साफ है कि डीडीसीए दिल्ली क्रिकेट को लेकर गंभीर नहीं है, जिसके चलते खिलाड़ियों में निराशा है। सूत्रों के मुताबिक डीडीसीए चयन प्रक्रिया में करीब दो महीने पीछे चल रहा है और अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इस मामले को लेकर डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली से व्हाट्सएप पर जवाब मांगा गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
लीग और अन्य कमेटियों का गठन अधर में
दिल्ली की घरेलू लीग डीडीसीए लीग में अब तक 700 से 800 मैच खेले जा चुके हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अभी तक लीग कमेटी का गठन नहीं हुआ है। आमतौर पर किसी भी लीग के आयोजन से पहले कमेटी का गठन किया जाता है, लेकिन यहां बिना कमेटी के ही काम चल रहा है।
इतना ही नहीं टेंडर कमेटी, लीगल कमेटी, इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी, चयन समिति और स्टैंडिंग कमेटी का भी अभी तक गठन नहीं हुआ है। बिना कमेटी के काम चलना डीडीसीए की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
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