Delhi Airport: कचरे के ढेर में पड़े सुरक्षित हवाई यात्रा के वादे, छोटी सी लापरवाही बन सकती है बड़े हादसे का कारण
दिल्ली एयरपोर्ट के पास कचरे के ढेर और जलभराव से पक्षियों का खतरा बढ़ गया है जिससे विमानों से उनके टकराने की आशंका बढ़ गई है। वायुयान अधिनियम 1937 का उल्लंघन हो रहा है क्योंकि एयरपोर्ट के आसपास कचरा प्रबंधन सही नहीं है। द्वारका मटियाला और अन्य क्षेत्रों में कूड़ा खुले में डाला जा रहा है जिससे बर्ड हिट की घटनाएं बढ़ रही हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वायुयान अधिनियम 1937 की धारा 91 के अनुसार एयरपोर्ट के आसपास ऐसी खुले में कचरा डालना या ऐसी कोई भी गतिविधि जो परिंदों को आकर्षित करती हो, इसपर रोक लगाती है, लेकिन देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट आईजीआई के आसपास की जमीनी स्थिति देखें तो हर जगह इसकी अवहेलना होती नजर आती है।
जगह जगह कूड़े के ढेर भी हैं, जलभराव वाला इलाका भी है, मछली की दुकानें भी हैं। यह बात इसलिए चिंता बढ़ा देती है, क्योंकि आईजीआई एयरपोर्ट पर पूरे देश के तमाम एयरपोर्ट के वायु क्षेत्र में विमानों से पक्षियों के टकराने की घटनाएं सबसे अधिक होती है। सिर्फ इस वर्ष की बात करें जून तक यह संख्या 40 को पार कर चुका था।
एयरपोर्ट से एक से दो किलोमीटर की दूरी पर दिखती है लापरवाही
आईजीआई से सटी उपनगरी द्वारका में करीब एक वर्ष पूर्व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भारत वंदना पार्क में ऊंचे पीलर के निर्माण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि एप्रोच पाथ पर होने के कारण यह रास्ता वायुयानों के आने जाने का मार्ग है। यहां ऊंचे पीलर नहीं बनाए जा सकते हैं। बाद में पिलर की ऊंचाई कम की गई।
इसी उपनगरी में भारत वंदना पार्क व एयरपोर्ट की चारदीवारी के बीच कई ऐसे जगह हैं, जो एप्रोच पाथ के अंतर्गत आते हैं, लेकिन वहां कूड़े को खुले में डाला जा रहा है। कुछ वर्ष पहले तक सेक्टर 8 व आसपास के इलाके में कई ऐसे बोर्ड नजर आते थे, जिसपर स्पष्ट लिखा रहता था कि यह स्थान वायुयानों के आनेजाने का मार्ग है। यहां कचरा या मांस- मछली के अवशेष नहीं डालें। ऐसी चीजें परिंदों को आकर्षित करती हैं, जिससे वायुयान के टकराने की आशंका रहती है।
अब जगह जगह लगे ऐसे बार्ड या तो हटा दिए गए या फिर इनके उपर एक नई परत चढा़कर इस संदेश को मिटा दिया गया है। एक जगह पुराना बोर्ड लगा था, वहां निगम ने कूड़ा घर खोल दिया है। यहां कूड़ा लाकर एकत्र किया जाता है और इसकी छंटाई होती है।
आसपास के इलाके में कूड़े का अंबार लगा नजर आता है। कूड़े के ढेर में आग भी लगाया जाता है। सेक्टर आठ में ही मलेरिया अनुसंधान केंद्र के आसपास जगह जगह कचरे के ढेर नजर आते हैं। स्पष्ट है कि कचरे के इन ढेरों के प्रति न तो दिल्ली नगर निगम और न ही आईजीआई एयरपोर्ट की संचालन एजेंसी डायल फिक्रमंद है।
कहां कहां है चिंता की बात?
एयरपोर्ट के 10 किलोमीटर के दायरे की बात करें तो उपनगरी द्वारका, मटियाला, द्वारका मोड़, डाबड़ी मोड़, इंदिरा मार्केट आरकेपुरम ये ऐसे इलाके हैं जहां कूड़ा प्रबंधन को लेकर स्थिति सही नहीं है। उपनगरी के आसपास मटियाला, गोयला डेयरी ऐसे जगह हैं जहां कूड़ा बीनने वाले कूड़े को एकत्र करने के बाद उसे जरुरत के हिसाब से अलग अलग करते हैं।
डेयरी के आसपास जलभराव एक बड़ी समस्या है। इलाके में खुले नाले भी काफी हैं। इंदिरा मार्केट आरके पुरम में मांस मछली की दुकानें नाले के ठीक किनारे पर हैं। यहां इनके अवशेष को नाले में बहा दिया जाता है। मटियाला में छठ घाट के पास खुले में शाम के समय मछली की दुकानें चलाई जाती हैं।
आईजीआई एयरपोर्ट पर बर्ड हिट की घटनाएं
वर्ष | घटनाएं |
---|---|
2020 | 62 |
2021 | 94 |
2022 | 183 |
2023 | 185 |
2024 | 130 |
2025 (जून तक) | 41 |
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