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    दिल्ली में आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर वकील, बीसीआई के आह्वान को अधिवक्ताओं ने किया अस्वीकार

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:31 AM (IST)

    दिल्ली के ट्रायल कोर्ट के वकीलों ने बीसीआई के हड़ताल स्थगित करने के अनुरोध को ठुकरा दिया है। वकीलों का कहना है कि जब तक पुलिसकर्मियों की अदालत में शारीरिक उपस्थिति सुनिश्चित नहीं होती उनका आंदोलन जारी रहेगा। समन्वय समिति ने 8 सितंबर से फिर से हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। बीसीआई अध्यक्ष ने वकीलों से हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया था।

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    बीसीआई ने ट्रायल कोर्ट अधिवक्ताओं से हड़ताल स्थगित करने का आह्वान किया था। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। थाने से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पुलिस को साक्ष्य पेश करने की अनुमति देने से जुड़े मामले में आठ सितंबर को प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित करने के बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के आह्वान को ट्रायल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने अस्वीकार कर दिया है।

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    सभी जिला अदालतों की समन्वय समिति ने इस बाबत बैठक करने के बाद निर्णय लिया कि उनका आंदोलन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही जारी रहेगा। अधिवक्ता ने स्पष्ट कहा कि जब तक कि पुलिसकर्मियों को गवाही/साक्ष्य के लिए अदालतों में शारीरिक रूप से उपस्थित होने के संबंध में निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

    अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी ताजा पत्र को देखने के बाद आठ सितंबर से दोबारा अनिश्चितकालीन हड़ताल करने और इसे और भी तीव्र गति से जारी रखने की घोषणा की थी।

    समन्वय समिति ने अपने बयान में कहा कि निष्पक्ष व स्वतंत्र सुनवाई के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को गवाही/साक्ष्य के लिए अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा और अगर जनहित में अधिवक्ताओं की इस मांग को नहीं माना जाता है तो आठ सितंबर से अधिवक्ता एक बार फिर अदालती कार्य से विरत रहेंगें।

    शनिवार को बार बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने वकीलों के संगठन को पत्र लिखकर उनसे अनिश्चितकालीन हड़ताल स्थगित करने या वापस लेने का अनुरोध किया था। साथ ही आठ सितंबर को बीसीआई और बार काउंसिल आफ दिल्ली (बीसीडी) के साथ एक संयुक्त बैठक में भाग लेने का आग्रह किया था।

    बीसीआई अध्यक्ष ने तर्क दिया था कि दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा चार सितंबर को जारी किए गए नए आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि केवल औपचारिक पुलिस गवाहों से ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ की जा सकती है, जबकि महत्वपूर्ण पुलिस गवाह व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि बार-बार अधिवक्ताओं के कार्य से विरत रहने के कारण विचाराधीन कैदियों और अपराध पीड़ितों सहित वादियों और उन वकीलों को भी गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले उपराज्यपाल द्वारा 13 अगस्त को जारी की गई अधिसूचना का विरोध करते हुए अधिवक्ता 22 अगस्त से 28 अगस्त तक काम से दूर रहे थे।