'अचानक आय में कमी भरण-पोषण से बचने की साजिश', हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी और बच्चे के लिए 25 हजार रुपये मासिक अंतरिम भरण-पोषण के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने पति की आय में भारी गिरावट को भरण-पोषण से बचने की चाल बताया और संपत्ति हस्तांतरण को संदिग्ध माना। पत्नी की शिक्षा और बच्चे की देखभाल को देखते हुए कोर्ट ने पति के आय के दावे को भी खारिज कर दिया।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने पति द्वारा आय में अचानक गिरावट को लेकर पत्नी और छोटे बच्चे के लिए अंतरिम भरण-पोषण के आदेश को बरकरार रखा है।
पारिवारिक अदालत ने पति की आयकर रिटर्न (आइटीआर) को ध्यान में रखते हुए 25 हजार रुपये मासिक अंतरिम भरण-पोषण का आदेश दिया था, जिसे पति ने चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने पति की याचिका को खारिज करते हुए पारिवारिक अदालत के निर्णय को सही ठहराया है।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पति की आय वर्ष 2018-19 में 10.17 लाख रुपये दर्ज थी, जबकि 2020-21 में मात्र 1.80 लाख रुपये दिखाया गया।
कोर्ट ने बिना संतोषजनक स्पष्टीकरण के इस आय में इतनी भारी गिरावट को जानबूझकर भरण-पोषण से बचने के लिए की गई चाल बताया गया। कोर्ट ने कहा कि पति ने अपनी महत्वपूर्ण संपत्तियां अपने माता-पिता के नाम स्थानांतिरत कर दीं, जोकि जांच में संदिग्ध साबित हुई।
कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी एक बीकाम स्नातक हैं और चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई कर रही हैं, साथ ही एक पांच वर्ष के बच्चे की देखभाल भी कर रही हैं। ऐसे में उन्हें तुरंत रोजगार प्राप्त करने की उम्मीद करना न्यायसंगत नहीं है।
पति का दावा कि उसकी मासिक आय 14 हजार है को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पहले के आयकर रिटर्न, संपत्ति और जीवनशैली के प्रमाण से पति की वास्तविक आय इससे कहीं अधिक है।
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