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    दिल्ली हाई कोर्ट ने NMC की गैर-डॉक्टर फैकल्टी नियुक्ति अधिसूचना पर जारी किया नोटिस, जानें पूरा मामला

    दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट की याचिका पर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) को नोटिस जारी किया है। याचिका में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में गैर-डॉक्टर फैकल्टी की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह मेडिकल शिक्षा के मानकों को कमजोर करता है। कोर्ट से चिकित्सकीय रूप से योग्य डॉक्टरों को नियुक्त करने की मांग की गई है।

    By Ritika Mishra Edited By: Neeraj Tiwari Updated: Fri, 22 Aug 2025 01:26 PM (IST)
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    दिल्ली हाई कोर्ट ने मेडिकल संस्थानों में गैर-डाक्टर फैकल्टी नियुक्ति याचिका पर नोटिस जारी किया

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने यूनाइटेड डाक्टर्स फ्रंट (यूडीएफ) की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसमें नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई है।

    इस अधिसूचना के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम के मूल विषयों एनाटामी, फिजियोलाॅजी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलाॅजी और फार्माकोलाॅजी में 30 प्रतिशत तक गैर-डाक्टर (एमएससी/पृएचडी) फैकल्टी की नियुक्ति की अनुमति दी गई है।

    मेडिकल शिक्षा के मानक हो रहे कमजोर

    मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने कहा कि इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सत्याम सिंह राजपूत ने दलील दी कि यह अधिसूचना मेडिकल शिक्षा के मानकों को कमजोर करती है और एमबीबीएस, एमडी, एमएस डिग्रीधारी डाॅक्टरों के करियर अवसरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

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    याचिका में कहा गया है कि एमबीबीएस, एमडी, एमएस जैसे चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित डाॅक्टरों की तुलना गैर-चिकित्सकीय एमएससी व पीएचडी डिग्रीधारकों से करना शिक्षा मानकों को गिराता है।

    स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर असर

    यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है। एनएमसी अधिनियम, 2019 और कांपिटेंसी बेस्ड मेडिकल शिक्षा (सीबीएमई) पाठ्यक्रम की भावना के विपरीत है। इससे जनता के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर असर पड़ेगा।

    याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि केवल चिकित्सकीय रूप से योग्य एमबीबीएस, एमडी, एमएस डाक्टरों को ही एमबीबीएस छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाए, ताकि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे और नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा हो सके।

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