नीतीश कटारा हत्याकांड: पांच सितंबर को है दोषी विकास यादव की शादी, अंतरिम जमानत पर हाई कोर्ट ने उठाया सवाल
दिल्ली हाई कोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड के दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत याचिका पर सवाल उठाते हुए सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा कि क्या दोषसिद्धि के बाद अंतरिम जमानत दी जा सकती है। विकास यादव ने शादी और जुर्माने के लिए जमानत मांगी है जिसका नीलम कटारा ने विरोध किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शादी के लिए रिहाई की मांग को लेकर वर्ष 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की ओर से दायर अंतरिम जमानत याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है।
न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने विकास यादव के वकील पूछा कि क्या हाई कोर्ट के पास दोषसिद्धि के बाद और पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अंतरिम जमानत देने का अधिकार है?
आप इस पर विचार कर सकते हैं। अदालत ने नाेट किया कि याचिकाकर्ता एक दोषी है, जो सजा काट रहा है और उसकी अपील को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
अदालत ने उक्त टिप्पणी तब की कि जब नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा के वकील ने याचिका विरोध करते हुए तर्क दिया कि दोषी के लिए अंतरिम जमानत का कोई प्रविधान नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि एक दोषी या तो पैरोल या फर्लो का हकदार होता है।
हालांकि, पीठ ने याचिका पर गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय, दिल्ली सरकार और नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई दो सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
23 साल से अधिक समय से जेल में बंद विकास यादव ने अंतरिम जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया कि उसकी शादी पांच सितंबर को तय है और उसे सजा सुनाए जाने के समय उस पर लगाए गए 54 लाख रुपये के जुर्माने का इंतजाम करना है।
सुनवाई के दौरान विकास यादव की तरफ से पेश हुए वकील ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग की। विकास यादव ने जेल से रिहाई और संबंधित अधिकारियों से छूट के लिए आवेदन करने की अनुमति मांगी।
विकास यादव ने याचिका में 6 फरवरी 2015 को 25 वर्ष की निश्चित अवधि की सजा सुनाते हुए भारतीय दंड संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) के प्रविधानों के तहत वैधानिक छूट का लाभ देने से इनकार करने का मुद्दा उठाया गया है।
यह भी कहा गया कि वह 25 साल की निश्चित अवधि की सजा में से 23 साल से अधिक की सजा काट चुका है और किसी दोषी को वैधानिक छूट का लाभ देना अदालत के दंड देने के अधिकार के अंतर्गत नहीं आता।
याचिका में कहा गया कि निश्चित अवधि की सजा के दौरान छूट से इनकार करना याचिकाकर्ता के संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव को पहले इस मामले में छूट के लिए हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी थी। साथ ही बीमार मां की देखभाल के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त तक के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
हालांकि, हाई कोर्ट ने उसकी वर्तमान अंतरिम जमानत याचिका और शीर्ष अदालत द्वारा दी गई जमानत याचिका के बीच कोई संबंध न होने का हवाला देते हुए उसे 26 अगस्त को आत्मसमर्पण करने को कहा।
इसके अलावा, विकास यादव ने हाई कोर्ट से अपनी शादी के लिए और जुर्माने की राशि का भुगतान करने के लिए धन की व्यवस्था करने के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत देने की मांग की है, अन्यथा उसे तीन साल और जेल में बिताने होंगे।
विकास यादव को बिजनेस एक्जीक्यूटिव नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के लिए दोषी करार देते हुए 25 साल की सजा सुनाई गई थी। विकास यादव अलग-अलग जातियों के होने के कारण बहन भारती यादव के साथ नीतीश कटारा के संबंध के खिलाफ था।
एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 29 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया कि उसने मार्च 2025 में अपनी 20 साल की सजा पूरी कर ली है।
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