BSF के कारण बताओ नोटिस पर दिल्ली हाई कोर्ट की सख्ती, पूछा– कोमा में व्यक्ति कैसे दे जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने बीएसएफ के एक इंस्पेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी करने पर सवाल उठाया जो कोमा में हैं। अदालत ने पूछा कि कार्डियक अरेस्ट के बाद कोमा में गए व्यक्ति को नोटिस कैसे भेजा जा सकता है। अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा और अगली सुनवाई तक नोटिस पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल के पति वेंटिलेटर पर हैं।

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के कारण कोमा में गए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक इंस्पेक्टर को जारी कारण बताओ नोटिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल उठाया है।बीएसएफ द्वारा जारी नोटिस पर अगली सुनवाई तक रोक लगाते हुए न्यायमूर्ति सी हरिशंकर व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने पूछा कि कार्डियक अरेस्ट के बाद हाइपोक्सिक इस्केमिक एन्सेफैलोपैथी से पीड़ित व्यक्ति, जोकि कोमा हो, उसे कारण बताओ नोटिस कैसे जारी किया जा सकता है। अदालत को यह जानकर और हैरानी हुई कि बीएसएफ ने कार्यवाही को कानून के दायरे में बताया।
नोटिस पर रोक लागू रहेगी
इंस्पेक्टर की पत्नी की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई छह जनवरी 2026 तय करते हुए अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक पांच अगस्त 2025 को जारी किए गए नोटिस पर रोक लागू रहेगी।
मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता राजेश कुमार ने कहा कि उक्त नोटिस कानून के अनुसार जारी किया गया था।
वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभय कुमार भार्गव ने कहा कि उनके मुवक्किल के पति व्यावहारिक रूप से कोमा में है और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। साथ ही यह भी कहा कि पति की स्थिति को देखते हुए यह जवाब उनकी मुवक्किल ने दिया था।
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नोटिस का जवाब देने की स्थिति में नहीं
इस पर अदालत ने कहा कि अजीब बात यह है कि कारण बताओ नोटिस के पैरा-चार में यह भी कहा गया है कि यदि निर्धारित समय के भीतर कारण बताओ नोटिस का कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यह माना जाएगा कि सुनील कुमार कारण बताओ नोटिस का जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं।
ऐसे में एकपक्षीय निर्णय लिया जाएगा। केंद्र सरकार के उक्त रुख पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा कि हमें इस बात पर संदेह है कि पांच अगस्त 2025 का कारण बताओ नोटिस जारी करने वाले अधिवकारी को क्या याचिकाकर्ता के पति वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी थी।
अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वे उक्त नोटिस को वापस लेने के इच्छुछ हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने तर्क दिया कि नोटिस कानून के तहत जारी किया गया था।
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मेडिकल बोर्ड की राय पर भेजा नोटिस
इंस्पेक्टर सुनील कुमार ककोडिया की पत्नी ने याचिका दायर कर बीएसएफ 25 बटालियन के आफिसिएटिंग कमांडेंट वीएलके वैफेई द्वारा पांच अगस्त 2025 को जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है।
नोटिस में कहा गया कि चिकित्सा परीक्षण के बाद बोर्ड ने राय दी है कि सुनील कुमार हाइपोक्सिक इस्केमिक से पीड़ित हैं और मई 2018 में कार्डियक अरेस्ट के बाद से कोमा में हैं। इतना ही नहीं बोर्ड ने उन्हें 90 प्रतिशत दिव्यांगता के साथ बीएसएफ में आगे की सेवा के लिए अनुपयुक्त माना है।
नोटिस में कहा गया कि बोर्ड ने राय दी है कि सुनील कुमार को बीएसएफ नियम-1969 के नियम 25 के प्रविधान के तहत शारीरिक अयोग्यता के आधार पर सेवा से मुक्त कर दिया जाए।
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