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    इमरजेंसी में HMIA सॉफ्टवेयर से बेड और डॉक्टरों की उपलब्धता की कैसे मिलेगी जानकारी? हाईकोर्ट का सवाल

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 05:37 PM (IST)

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से एचएमआईएस सॉफ्टवेयर के माध्यम से आपातकालीन स्थितियों में बिस्तर और डॉक्टरों की उपलब्धता की जानकारी के बारे में सवाल किया है। कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें लागू किए गए मॉड्यूल और उनकी स्थिति की जानकारी शामिल हो। एम्स निदेशक को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है।

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    कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) सॉफ्टवेयर के ज़रिए लोगों को आपातकालीन स्थितियों में बिस्तरों और डॉक्टरों की उपलब्धता के बारे में कैसे पता चलेगा?

    डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर 2017 में स्वतः संज्ञान लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट में एचएमआईएस सॉफ्टवेयर में लागू किए जाने वाले मॉड्यूल की कुल संख्या, वास्तव में लागू किए गए मॉड्यूल और सभी अस्पतालों में उनकी स्थिति के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। कोर्ट ने रिपोर्ट में शेष मॉड्यूल के कार्यान्वयन के बारे में भी एक निश्चित समय-सीमा के साथ विवरण देने को कहा।

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    कोर्ट ने यह निर्देश तब दिए जब दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ को बताया कि एचएमआईएस सॉफ्टवेयर विकसित करते समय डॉ. एसके सरीन समिति की रिपोर्ट में की गई विभिन्न सिफारिशों पर विचार किया गया है।

    इस पर पीठ ने एम्स निदेशक को सभी संबंधित अधिकारियों की बैठक बुलाकर अगली सुनवाई तक कोर्ट के समक्ष स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने कहा कि रिपोर्ट में इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर होना चाहिए कि क्या आपात स्थिति में, जब कोई मरीज हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करता है, तो क्या एचएमआईएस सॉफ्टवेयर ऐसे मरीज को ऐसे अस्पताल तक पहुँचा पाएगा जहाँ बिस्तर और आवश्यक विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध हों।

    पीठ ने यूपीएससी को रेडियोलॉजिस्ट की भर्ती प्रक्रिया जारी रखने और अगली सुनवाई से पहले दिल्ली सरकार को आवश्यक दस्तावेज जमा करने का भी निर्देश दिया। मामले में आगे की सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।