हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा जवाब, वेतन वृद्धि पर वित्त विभाग ने जताई थी आपत्ति
दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से विधि शोधकर्ताओं को पूर्वव्यापी प्रभाव से बढ़ा हुआ वेतन देने पर आपत्ति का कारण पूछा है। अदालत ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है कि जब मुख्य न्यायाधीश ने अक्टूबर 2022 से संशोधन को मंजूरी दी थी तो सरकार इसे 2025 से क्यों लागू करना चाहती है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के साथ कार्यरत विधि शोधकर्ताओं (एलआर) को पूर्वव्यापी प्रभाव से बढ़ा हुआ पारिश्रमिक देने पर आपत्ति के कारण पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अक्टूबर 2022 से प्रभावी पारिश्रमिक में संशोधन को मंजूरी दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने बढ़ा हुआ वेतन दो सितंबर 2025 से ही देने का फैसला किया है। पीठ ने कहा कि पहले भी एक अवसर पर एलआर के वेतन में पूर्वव्यापी प्रभाव से वृद्धि की गई थी।
पीठ ने पूछा कि दिल्ली सरकार पिछला बकाया क्यों नहीं दे रही है? पहले भी एक अवसर पर यह पूर्वव्यापी प्रभाव से दिया गया था। पीठ ने पूछा कि अब आप अलग रुख कैसे अपना सकते हैं?
दिल्ली सरकार के विधि, न्याय एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव रीतेश सिंह ने पीठ को बताया कि वित्त विभाग की आपत्तियों के कारण यह सिफारिश की गई है। उन्होंने बताया कि हमने प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष रखा था, लेकिन वित्त विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई थी।
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पीठ ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अक्टूबर 2022 से प्रभावी पारिश्रमिक में संशोधन को मंजूरी दी थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने बढ़ा हुआ वेतन दो सितंबर 2025 से ही देने का फैसला किया था। आठ सितंबर को दिल्ली सरकार ने विधि शोधकर्ताओं का पारिश्रमिक 65 हजार से बढ़ाकर 80 हजार किया था।
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