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    भ्रष्टाचार के मामले में पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक दोषी, कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Tue, 23 Feb 2021 02:36 PM (IST)

    विशेष अदालत ने कहा कि व्हाइट कालर क्राइम आम अपराध से भी खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर चोट मारता है। यह अपराध पढ़े-लिखे और समाज में दबदबा रखने वाले लोगों द्वारा पूरी साजिश के साथ अंजाम दिया जाता है।

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    पांच लाख रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाते हुए की

    नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था कि यहां सभी की जरूरत के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन जब बात लालच की आती है, तो वहां यह बात लागू नहीं होती। दोषी ने भी अपनी लालच की भूख मिटाने के लिए बार-बार भ्रष्टाचार जैसा संगीन अपराध किया है। दोषी का लालच इससे भी साबित होता है कि वह पहले भी सात लाख रुपये रिश्वत लेने के मामले में सजा पा चुका है। राउज एवेन्यू अदालत की विशेष न्यायाधीश नीरजा भाटिया ने यह टिप्पणी पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व उप निदेशक नीरज खत्री को भ्रष्टाचार के मामले में पांच साल कठोर कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाते हुए की है।

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     खत्री के अलावा वीवी मिनरल्स, इसके पार्टनर एस. वैकुंडाराजन और लाइजन आफिसर शुभलक्ष्मी को भी सजा दी गई है। वैकुंडाराजन की वृद्धावस्था को ध्यान में रखते हुए तीन साल जेल और पांच लाख रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया गया है। वहीं, शुभलक्ष्मी की अकेली मां होने की दलील पर गौर करते हुए तीन साल जेल और दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। वीवी मिनरल्स पर दस लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। वैकुंडाराजन और शुभलक्ष्मी द्वारा जुर्माना अदा करने और फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की दलील के बाद 50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी गई। वहीं, खत्री ने जुर्माना अदा नहीं किया, लिहाजा उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

    विशेष अदालत ने कहा कि व्हाइट कालर क्राइम आम अपराध से भी खतरनाक है, क्योंकि यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर चोट मारता है। यह अपराध पढ़े-लिखे और समाज में दबदबा रखने वाले लोगों द्वारा पूरी साजिश के साथ अंजाम दिया जाता है। इससे समाज के आम लोगों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट तो भ्रष्टाचार को कैंसर और एड्स से भी गंभीर बीमारी की संज्ञा दे चुकी है। विशेष अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में आंखें मूंदकर नहीं बैठा जा सकता और इस मामले में तो कतई नहीं, क्योंकि दोषी नीरज खत्री ने अपने पद का इस्तेमाल निजी लालच की भूख मिटाने के लिए किया है। उसने यह भी नहीं समझा कि पर्यावरण संरक्षण कितनी बड़ी जिम्मेदारी है और इसका असर कितने लोगों पर पड़ता है।

    क्या है मामला...

    विशेष अदालत में दायर आरोपपत्र में सीबीआइ ने कहा था कि हरियाणा के रोहतक निवासी नीरज खत्री पर्यावरण मंत्रालय में 2012 में बतौर उप निदेशक तैनात थे। वीवी मिनरल्स तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में एसईजेड स्थापित करना चाहती थी। इसके लिए वाणिज्य मंत्रालय से मंजूरी पहले ही मिल चुकी थी, जबकि पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी नहीं मिली थी। इसके लिए एस वैकुंडाराजन ने शुभलक्ष्मी को नियुक्त किया और शुभलक्ष्मी ने नीरज खत्री से संपर्क किया। कंपनी की तरफ से चार लाख 15 हजार रुपये का एक बैंक ड्राफ्ट तमिलनाडु स्थित वीआइटी यूनिवर्सिटी के नाम जमा कराया गया।

    इस यूनिवर्सिटी में नीरज खत्री के बेटे सिद्धार्थ ने बीटेक में दाखिल लिया था और कंपनी की तरफ से जमा कराया गया बैंक ड्राफ्ट उसकी फीस के लिए था। 5 जुलाई 2012 को नीरज खत्री अपने बेटे को यूनिवर्सिटी में छोड़ने गए थे। उनके दिल्ली से जाने और वापस आने का हवाई टिकट भी कंपनी ने ही बुक किया था। नीरज खत्री पर 2013 में ओडिशा की एक पावर कंपनी को एनओसी देने के बदले सात लाख रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप लगा था। इस मामले में विशेष सीबीआइ अदालत ने नवंबर 2017 में उसे तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में हाई कोर्ट में अपील दायर की गई है।