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    DU के लिए चुनौती बना इन दो कार्सों में सीटें भरना, प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी 9500 खाली

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 10:05 AM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी 9500 सीटें खाली हैं खासकर विज्ञान और भाषा विषयों में। इन सीटों को भरने के लिए डीयू ने 12वीं के अंकों के आधार पर मापअप राउंड की घोषणा की है। शिक्षक सीयूईटी की जटिल प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि पहले कटऑफ के आधार पर प्रवेश होने से सीटें भर जाती थीं।

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    भाषा और विज्ञान के कार्सों में सीटें भरना डीयूु के लिए बना चुनौती

    उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में चार चरणों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अभी तक लगभग 9500 हजार सीटें खाली हैं। इनमें बाहरी परिसर के कालेजों को छोड़कर अधिकतर में विज्ञान और भाषा विषयों की सीटें खाली हैं। इनको भरने के लिए डीयू ने 12वीं के अंकों के आधार पर प्रवेश के लिए मापअप राउंड की घोषणा की है।

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    कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुए तीसरा वर्ष चल रहा है और अब सीटें न भरने के लिए इस पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। शिक्षकों ने इस पर चिंता जताई है।

    शिक्षकों का कहना है कि सीयूईटी से पहले कॉलेज कटऑफ के आधार पर प्रवेश लेते थे। ऐसे में छात्रों को पता होता था कि किस कॉलेज की कितनी कटआफ है। उस हिसाब से सीटें भर जाती थीं। पर, अब सीयूईटी की प्रक्रिया जटिल होती जा रही है। प्रचलित कोर्सों में सीटें भर जाती हैं। लेकिन, दूसरे कोर्सों में सीटें भरना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। आचार्य नरेंद्र देव कालेज में 115 सीटें खाली हैं। यह सभी विज्ञान के कार्सों की सीटें हैं। इसी तरह संस्कृत ऑनर्स में 1400 सीटें हैं और इसमें 800 खाली हैं।

    पंजाबी में पांच कालेज 204 सीटें हैं और इसमें 112 खाली हैं। उर्दू में पांच कालेज कालेज में 207 सीटें हैं और इनमें 127 खाली हैं। इसी तरह मापअप राउंड के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, अदिति कालेज में 674, भगिनी निवेदिता में 709, जाकिर हुसैन में 387, कालिंदी कालेज में 385, दयाल सिंह में 311, भारती में 307, श्यामलाल में 301, देशबंधु कालेज में 295 सीटें अभी खाली पड़ी हुई हैं। यह स्थिति तब है जब डीयू ने भाषा के विषयों में 100 प्रतिशत तक अतिरिक्त सीट आवंटन दिया था।

    इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) के चेयरमैन प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, सीयूईटी से पहले जब कटआफ से प्रवेश लेते थे, तो सभी सीटें भर जाया करती थीं। लेकिन, अब सीटें भी नहीं भर रही हैं और प्रवेश सत्र जो 16 जुलाई तक शुरू हो जाता था, अगस्त में शुरू हो रहा है।

    इसके चलते छात्र निजी संस्थानों में प्रवेश ले लेते हैं। साढ़े नौ हजार सीटें 13 प्रतिशत कालेजों में खाली पड़ी हैं। भारतीय भाषाओं को एनईपी में ध्यान देने को कहा गया है, संस्कृत और पंजाबी भाषाओं में सीटें न भरना चिंता का विषय है।

    एकेडमिक्स फार एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) के प्रो. राजेश झा ने कहा, स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश-प्रक्रिया शुरू हुए 50 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी भी विभिन्न कालेजों में साढ़े नौ हजार से अधिक सीटें खाली हैं।

    सीयूईटी दोषपूर्ण है और सीएसएएस पोर्टल के जरिये डीयू में प्रवेश छात्रों के समझ नहीं आ रहा है। कई बार गलत च्वाइस भरने से छात्र प्रवेश से चूक जा रहे हैं या अच्छे नंबर लाकर भी अच्छा कॉलेज हासिल नहीं कर पा रहे हैं। सीयूईटी के परिणाम समय पर जारी नहीं हो रहे हैं। इस सास भी जुलाई में परिणाम जारी किए जा सके। अब डीयू को दोबारा पुरानी प्रवेश प्रक्रिया पर विचार करना चाहिए।

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    डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने एक बयान में कहा, सत्र शुरू हुए डेढ़ महीना हो गया और अब प्रवेश होता है, तो छात्र प्रवेश लेने में अनिच्छुक भी हो सकते हैं। जब मापअप के जरिये 12वीं के अंकों के आधार पर प्रवेश लेना है तो सीयूईटी की प्रक्रिया भी बेनतीजा हो जाती है। बता दें कि डीयू ने मापअप राउंड की घोषणा की है और उम्मीद जताई जा रही है कि इससे सीटें भर सकेंगी।