DUSU चुनाव में उम्मीदवारी के लिए नहीं लगेगा 1 लाख रुपये का बॉन्ड, सिर्फ ये दस्तावेज होंगे जरूरी
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में उम्मीदवारी के लिए एक लाख रुपये का बांड अब नहीं देना होगा। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अब उम्मीदवार शपथ पत्र देंगे। दीवारों को गंदा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जिसके लिए एक पोर्टल बनाया गया है। डूसू चुनाव ईवीएम मशीनों से कराए जाएंगे और शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए टीमें कॉलेजों की निगरानी कर रही हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में उम्मीदवारी के लिए एक लाख रुपये के बांड की शर्त दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हटा दी गई है। इसके स्थान पर, उम्मीदवार छात्रों से शपथ पत्र लिया जाएगा। इसके लिए जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। डूसू सलाहकार समिति की मंगलवार को हुई बैठक में चुनाव संबंधी कई मुद्दों पर चर्चा हुई।
समिति की अध्यक्ष एवं साउथ कैंपस की निदेशक प्रो. रजनी अब्बी ने बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले के आलोक में शपथ पत्र भरने के संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय दीवारों को गंदा न करने को लेकर लगातार सख्त कदम उठा रहा है।
दीवारों को गंदा न करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा एक पोर्टल बनाया गया है। जहां कॉलेज दीवारों को गंदा करने वालों और लिंगदोह नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं। इसके बाद डूसू चुनाव के लिए गठित समिति इस शिकायत की जांच कर निर्णय लेगी।
दीवारों को गंदा करने के दोषी पाए जाने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ कुछ समय के लिए प्रचार पर प्रतिबंध जैसी कार्रवाई की जाएगी। या उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी जाएगी। विश्वविद्यालय ने कॉलेजों को वॉल ऑफ डेमोक्रेसी पर हस्तलिखित पर्चों के जरिए प्रचार करने की अनुमति दे दी है।
कॉलेजों को इन नियमों का पालन करने को कहा गया है। उन्होंने कहा, डूसू चुनाव ईवीएम मशीनों के जरिए ही कराए जाएंगे। कॉलेज काउंसलर के लिए वोट बैलेट पेपर से डाले जाएंगे। प्रो. अब्बी ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से नई ईवीएम के ऑर्डर दिए गए थे। लेकिन मशीनें तैयार नहीं हो पाई हैं।
इसलिए पुरानी मशीनों के जरिए ही चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी। मशीनों की जांच का काम तेजी से चल रहा है। बैठक में शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव संपन्न कराने के निर्देश दिए गए हैं। गड़बड़ी रोकने के लिए टीमें लगातार कॉलेजों की निगरानी कर रही हैं।
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