DUTA Election: नए उम्मीदवार के मैदान में आने से डूटा का मुकाबला हुआ रोचक, अध्यक्ष पद के लिए 6 उम्मीदवार में होगी जंग
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। अध्यक्ष पद के लिए छह और एग्जिक्यूटिव के लिए 25 उम्मीदवार मैदान में हैं। एनडीटीएफ का पलड़ा भारी माना जा रहा है लेकिन अन्य उम्मीदवार भी मुकाबले को रोचक बना रहे हैं। वोटों का विभाजन भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव में मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पहले जहां मुकाबला एनडीटीएफ, एएडीटीए और डीटीएफ के बीच नजर आ रहा था। उसमें एनडीटीएफ से बगावत कर मैदान में उतरे उम्मीदवार प्रो. कमलेश रघुवंशी ने और रोचक बना दिया है।
डूटा अध्यक्ष और एग्जिक्यूटिव चुनने के लिए चार सितंबर को वोट डाले जाएंगे। उसी दिन शाम से वोटों की गिनती शुरू हो जाएगी। अध्यक्ष के लिए छह और एग्जिक्यूटिव के लिए 25 उम्मीदवार मैदान में हैं।
डूटा चुनाव में पलड़ा आरएसएस समर्थित नेशनल डेमाक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) के उम्मीदवार प्रो. वीएस नेगी का माना जा रहा है। पिछली बार भी एनडीटीएफ के प्रो. एके भागी अध्यक्ष चुने गए थे। प्रो. नेगी के मुकाबले लेफ्ट समर्थित डेमाकेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) के प्रो. राजीब रे और आप समर्थित एकेडमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) के प्रो. राजेश झा मैदान में हैं।
डीटीएफ को इस वर्ष कार्यकारी परिषद में जीत मिली थी। इससे वह उत्साहित हैं और उन्हें समर्थन मिलने की उम्मीद है। एएडीटीए को बड़ी संख्या में शिक्षकों को समर्थन हासिल है। लेकिन, प्रो. कमलेश रघुवंशी ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बना दिया है। उनके जीतने की उम्मीद कम है, लेकिन वह एनडीटीएफ के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं। वह एनडीटीएफ से डूटा एग्जिक्यूटिव में रह चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो उन्हें मनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन डूटा डग्जिक्यूटिव के लिए एनडीटीएफ के एक उम्मीदवार के नाम पर वह राजी नहीं थे। इससे धीरे-धीरे बात बिगड़ गई। उन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन आखिरी तक उनके साथ तालमेल बैठाया नहीं जा सका।
एनडीटीएफ में शामिल शिक्षकों का कहना है कि कमलेश रघुवंशी असर डालेंगे और इससे कुछ फर्क तो पड़ेगा। एएडीटीए और डीटीएफ को भी उनके बगावती तेवरों में फायदा नजर आ रहा है। क्योंकि पिछले साल जीत का अंतर 395 वोट ही था। हालांकि, दो साल पहले विपक्ष के सभी संगठन एक साथ मैदान में उतरे थे। लेकिन, इस बार एएडीटीए और डीटीएफ अलग-अलग लड़ रहे हैं और इससे साफ है कि उनके वोट भी बटेंगे।
एनडीटीएफ के सचिव प्रो. सुनील शर्मा ने कहा, 50 और 100 वोट हटने से एनडीटीएफ को कोई असर नहीं होगा। डूटा एग्जिक्यूटिव में एनडीटीएफ को अच्छे वोट मिले थे। नई नियुक्तियां, पदोन्नतियां, वार्ड कोटा जैसी उपलब्धियां एनडीटीएफ के नाम हैं। इसका इनाम संगठन को चुनाव में जरूर मिलेगा।
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