डूसू चुनाव प्रचार में ट्रैक्टर और लग्जरी कारों के इस्तेमाल पर हाई कोर्ट की फटकार, कहा- इसकी मंजूरी नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने डूसू चुनाव में वाहनों के इस्तेमाल पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने कहा कि चुनाव में आदर्श आचार संहिता का पालन नहीं हो रहा है और ट्रैक्टरों जैसे वाहनों से यातायात बाधित हो रहा है। डीयू प्रशासन को शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने डीयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट भी मांगी है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। लग्जरी गाड़ियों से लेकर ट्रैक्टर से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में हो रहे प्रचार पर गंभीर चिंता व नाराजगी व्यक्त करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि प्रथमदृष्टया चुनाव में आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता प्रशांत मनचंदा की तरफ से पेश की गई तस्वीरों को देख अदालत ने कहा कि चुनाव प्रचार में ट्रैक्टरों सहित वाहनों के अत्यधिक उपयोग को मंजूरी नहीं दी जा सकती, क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे वाहनों के कारण यातायात बाधित होता है और आम नागरिकों को इसके कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है।
अदालत ने डीयू प्रशासन को इस बाबत कदम उठाने को कहा कि डूसू चुनाव बिना किसी अप्रिय घटना, संपत्ति को नुकसान पहुंचाए और अवैध वाहनों के बगैर व्यवस्थित व शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि इतने सारे नियम होने के बावजूद हर साल देखा गया है कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने अभियान को तेज करने के उत्साह में इन नियमों का उल्लंघन करते हैं।
अदालत ने कहा कि चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों को यह समझना होगा कि जब तक वे समाज की लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप आचरण नहीं करेंगे, तब तक वे जिन संस्थानों में निर्वाचित होने के बाद काम करना चाहते हैं, वे उनसे अपेक्षित कार्य नहीं कर पाएंगे।
याचिकाकर्ता व अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने अपनी एक याचिका पर आवेदन दाखिल कर कहा कि डूसू के चुनावों के दिशानिर्देशों और अन्य निर्धारित उपायों का उल्लंघन किया जा रहा है।
साथ ही उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों की तस्वीरों और वीडियो भी पेश किया।डूसू चुनाव में मतदान 18 सितंबर को होगा, जबकि मतगणना 19 सितंबर को होगी।
कानून व्यवस्था के लिए आवश्यक कदम उठाने की डीयू प्रशासन की दलील पर अदालत ने कहा कि हो सकता है कि दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा कुछ कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हों।
हालांकि, अदालत की राय में चुनाव प्रचार में मोटर चालित वाहनों के अत्यधिक उपयोग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
डीयू प्रशासन व पुलिस की कार्यवाही को नाकाफी बताते हुए अदालत ने डीयू प्रशासन को एक हलफनामा दाखिल करके बताने को कहा गया कि चुनावों को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
साथ ही दिल्ली पुलिस को कम से कम चुनावों के दौरान डीयू को हर संभव सहायता और सहयोग प्रदान करने का भी निर्देश दिया।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि डीयू के उच्च अधिकारी पुलिस आयुक्त के साथ बैठक करें और स्थिति का संयुक्त रूप से जायजा लेने के बाद नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त कदम उठाएं।
अदालत ने दिल्ली पुलिस को भी शांतिपूर्ण और सुचारू चुनाव सुनिश्चित करने के संबंध में उठाए गए कदमों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
मामले में आगे की सुनवाई 15 सितंबर को होगी। 2024 में भी अदालत ने संपत्तियों के नुकसान को देखते हुए डूसू चुनाव परिणाम पर रोक लगा दी थी। हालांकि, संपत्तियों को दोबारा से ठीक करने पर चुनाव परिणाम घोषित किए गए थे।
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