JNUSU चुनाव 2025 में बागी बढ़ा रहे छात्र संगठनों की चिंता, कोई खुश तो कोई परेशान; मुकाबला दिलचस्प
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव के लिए अंतिम सूची जारी हो गई है। इस बार वाम दलों का गठबंधन टूट गया है जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। आइसा और डीएसएफ ने यूनाइटेड लेफ्ट गठबंधन बनाया है जबकि एसएफआई ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर गठबंधन किया है। BAPSA में फूट के कारण गठबंधन को लेकर आपसी सहमति नहीं बन पाई है।

उदय जगताप, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव के लिए उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी हो चुकी है। छात्र संगठन चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों के लिए यूनिवर्सिटी जनरल बाडी मीटिंग (यूजीबीएम) का मंगलवार को आयोजन हुआ है, 25 अप्रैल को मतदान होना है।
लेकिन, उससे पहले बागियों के रुख ने छात्र संगठनों की परेशानी बढ़ा दी है। मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। छात्र संगठन उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
2016 से चला आ रहा वाम दलों का गठबंधन टूटा
जेएनयूएसयू में 2016 से चला आ रहा वाम छात्र संगठनों का गठबंधन टूट गया है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने यूनाइटेड लेफ्ट गठबंधन बनाया है।
दूसरी ओर, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), बिरसा मुंडे फुले आंबेडकर स्टूडेंट्स यूनियन (बापसा) और प्रोगेसिव स्टूडेंट्स असोसिएशन (पीएसए) के साथ मिलकर गठबंधन बनाया है।
दो छात्र संगठनों ने खुले तौर पर एसएफआई को समर्थन दिया है। लेकिन, बापसा में आपसी फूट ने परेशानी खड़ी कर दी है। पूरा संगठन गठबंधन के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है।
गठबंधन को लेकर बापसा में नहीं बनी आपसी सहमति
बापसा ने गठबंधन की तरफ से रामनिवास गुर्जर को उम्मीदवार बनाया है। दूसरी ओर, बापसा के सदस्य अविचल कुमार अध्यक्ष और रीतिका संयुक्त सचिव पदों पर चुनाव लड़ रहे हैं।
गठबंधन को लेकर बापसा में आपसी सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि, मंगलवार रात को हुई यूजीबीएम में संयुक्त सचिव पद की उम्मीदवार रीतिका ने हिस्सा नहीं लिया।
इससे माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी उम्मीदवारी खुद वापस ले ली है। लेकिन, अविचल कुमार की ओर से स्थिति स्पष्ट नहीं है। बापसा के पास विश्वविद्यालय में 700 वोट हैं।
सदस्यों के खिलाफ जाकर बापसा ने किया गठबंधन
बापसा के एक पदाधिकारी ने बताया कि संगठन की केंद्रीय समिति ने गठबंधन में जाने के लिए सभी से राय ली थी। इसमें ज्यादा सदस्य गठबंधन में जाने के पक्ष में नहीं थे।
उसके बावजूद कुछ पदाधिकारियों के दबाव के चलते गठबंधन कर लिया गया। हालांकि, संगठन के अधिकतर छात्रों का समर्थन गठबंधन को हासिल नहीं है। इसका नुकसान उन्हें चुनाव में उठाना पड़ेगा।
बापसा के अधिकारी गलत नहीं कह रहे हैं, संगठन की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आइसा की ओर से नामांकन से पहले उन्हें उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद ऑफर किए गए थे। लेकिन, वह यूनाइटेड लेफ्ट के साथ नहीं गए।
वर्तमान में जेएनयूएसयू की पूर्व सचिव प्रियांशी बापसा की अध्यक्ष हैं। उनका समर्थन एसएफआई के गठबंधन को हासिल है।
उन्होंने इसे अंबेडकराइट नाम दिया है। नामांकन के समय कुछ पर्चे बापसा ने निकाले थे और इसमें संयुक्त सचिव प्रत्याशी रीतिका पर दबाव डालकर बैठने की बात कही थी।
पिछले साल पहली बार जीती थी बापसा, लेफ्ट ने किया था समर्थन
पिछले साल लेफ्ट के समर्थन से बापसा ने पहली बार जेएनयूएसयू चुनाव में सचिव का पद हासिल किया था। उधर, एबीवीपी के लिए उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय खड़े हुए आकाश कुमार रवानी मुसीबत खड़ी कर रहे हैं।
पहले उन्हें एबीवीपी से प्रत्याशी बनाए जाने की उम्मीद थी। लेकिन, टिकट न मिलने पर वह निर्दलीय खड़े हुए हैं। एक छात्र ने कहा, आकाश नवोदय विद्यालय से पढ़े हैं।
जेएनयू में नवोदय के 200 से अधिक छात्र हैं और उनका समर्थन आकाश को मिल रहा है। इससे उपाध्यक्ष पद पर भी मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

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