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    महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक क्यों होती है घुटनों की आर्थराइटिस की समस्या? विशेषज्ञ ने किया बड़ा खुलासा

    आजकल घुटनों का दर्द और आर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है। नी रिप्लेसमेंट सर्जरी का लक्ष्य दर्द को कम करना और चलने-फिरने की क्षमता को वापस लाना है। डॉ. शेखर श्रीवास्तव के अनुसार सर्जरी के बाद मरीज सीढ़ियां चढ़ सकते हैं और मनोरंजक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। महिलाओं में आर्थराइटिस अधिक होने के कई कारण हैं जैसे जेनेटिक फैक्टर्स कम शारीरिक गतिविधि और पोषण की कमी।

    By Jagran News Edited By: Rajesh Kumar Updated: Sun, 17 Aug 2025 12:34 PM (IST)
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    घुटनों का दर्द और आर्थराइटिस आज के समय में एक आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। घुटनों का दर्द और आर्थराइटिस (Arthritis) आज के समय में एक आम लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। अक्सर जब किसी मरीज को नी रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दी जाती है, तो उनका पहला सवाल यही होता है, "यह कितने साल तक चलेगी?"

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    इस पर दिल्ली के संत परमानन्द अस्पताल के सीनियर ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. शेखर श्रीवास्तव बताते हैं कि सर्जरी का मुख्य उद्देश्य मरीज के दर्द को खत्म करना, उनकी चलने-फिरने की क्षमता को बहाल करना और रोजमर्रा की गतिविधियां (Activities of Daily Living) आराम से करने योग्य बनाना होता है।

    सर्जरी के बाद जीवन में बदलाव

    डॉ. श्रीवास्तव के अनुसार, सफल नी रिप्लेसमेंट के बाद मरीज न केवल सीढ़ियां चढ़-उतर सकते हैं, बल्कि अपनी मनपसंद मनोरंजक गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते हैं। जैसे ब्रिस्क वॉक, साइक्लिंग, स्विमिंग या मार्केट घूमना।

    महिलाओं में ज्यादा क्यों होती है समस्या?

    रिसर्च और अनुभव से यह पाया गया है कि महिलाओं में आर्थराइटिस पुरुषों की तुलना में अधिक होता है। इसके पीछे कई कारण हैं...

    • जेनेटिक फैक्टर्स (Genetic Factors): कुछ आनुवंशिक कारण महिलाओं को अधिक प्रभावित करते हैं।
    • कम शारीरिक गतिविधि: महिलाओं में व्यायाम और फिजिकल ट्रेनिंग की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे घुटनों पर दबाव बढ़ता है।
    • पोषण की कमी: भारतीय परिस्थितियों में महिलाओं का न्यूट्रिशन पुरुषों की तुलना में अक्सर कमज़ोर होता है, जिससे मसल्स और हड्डियों की मजबूती पर असर पड़ता है।
    • घरेलू कार्यशैली: घर के कामों में बार-बार नीचे बैठना, घुटनों के बल काम करना, और उठना-बैठना—ये आदतें घुटनों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं।

    उम्र और घुटनों का संबंध

    डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं, "गठिया उम्र के साथ होने वाला एक सामान्य शारीरिक बदलाव है। जैसे उम्र बढ़ने पर बाल सफेद होते हैं, वैसे ही घुटनों के जोड़ की हड्डियों और कार्टिलेज में भी वियर एंड टियर (Wear and Tear) शुरू हो जाता है।" हालांकि, यह हर व्यक्ति में समान गति से नहीं होता, कुछ में धीरे-धीरे, तो कुछ में तेजी से।

    विशेषज्ञ की सलाह

    • संतुलित आहार लें जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन D पर्याप्त मात्रा में हो।
    • नियमित रूप से हल्का व्यायाम और स्ट्रेचिंग करें।
    • वजन नियंत्रित रखें ताकि घुटनों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
    • लंबे समय तक नील-डाउन पोजिशन में रहने से बचें।