Never Alone App: छात्रों में आत्महत्या के लक्षण देखते ही टीम को अलर्ट करेगा ये एप, एम्स-दिल्ली ने किया लांच
एम्स-दिल्ली ने छात्रों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए नेवर अलोन ऐप लॉन्च किया है। यह ऐप छात्रों को लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श करने में मदद करेगा। एआई-आधारित यह ऐप छात्रों को त्वरित काउंसलिंग और चिकित्सीय परामर्श प्रदान करेगा जिससे मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुंच सुलभ होगी। यह ऐप एम्स दिल्ली भुवनेश्वर और इहबास के छात्रों के लिए निशुल्क उपलब्ध होगा।

मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। देश में औसतन हर साल 1.70 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन 400 से अधिक लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वर्ष 2017 में प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्याओं की दर 9.9 थी, जो 2022 में बढ़कर प्रति लाख जनसंख्या पर 12.4 हो गई। इनमें युवाओं (18 से 45 वर्ष) का आंकड़ा करीब 66 प्रतिशत है।
ऐसे में एम्स-दिल्ली ने ग्लोबल सेंटर आफ इंटीग्रेटिव हेल्थ के सहयोग से मेडिकल छात्रों के लिए वाट्सएप आधारित ''नेवर अलोन'' एप तैयार किया है, जिसे विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के मौके पर लांच किया गया। संस्थान के मुताबिक यह एप अगले महीने से एम्स दिल्ली, एम्स भुवनेश्वर और मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) शाहदरा के छात्रों को निशुल्क उपलब्ध होगा।
छात्र इस एआइ आधारित वाट्सएप चैटबाट पर लक्षणों के आधार पर मनोचिकित्सकों से परामर्श पा सकेंगे। महज पांच से छह मिनट की चैटिंग में छात्र की आधे पेज की समरी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। लक्षण दिखने पर एप आन काल काउंसिलिंग का सुझाव देगा।
छात्र के स्वीकृति देते ही रिपोर्ट पैनल में उपलब्ध मनोचिकित्सक को भेजी जाएगी, जो आनलाइन काउंसलिंग करेंगे और चिकित्सीय परामर्श देंगे। मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डा. नंद कुमार ने बताया कि छात्र यदि ओपीडी में दिखाना चाहेंगे तो एप के माध्यम से अलग से स्लाट रिजर्व भी करा सकेंगे।
विभाग के ही प्रो. गगन कुमार ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित 70-80 प्रतिशत लोग इलाज नहीं कराते या उपचार बीच में छोड़ देते हैं। मेडिकल कालेज जहां मनोचिकित्सक और उपचार भी है, वहां भी इसकी दर ज्यादा है।
ऐसे में एप पर छात्र किसी भी समय काउंसलिंग और चिकित्सीय परामर्श पा सकेंगे। एप पर अभी काम चल रहा है। छात्रों के लिए यह अगले महीने से उपलब्ध होगा। भविष्य में अन्य संस्थानों को प्रति छात्र प्रतिदिन 70 पैसे के मामूली शुल्क में इसे उपलब्ध कराया जाएगा।
भारत में आत्महत्या का आंकड़ा एक नजर में
72.5 प्रतिशत पुरुष
27.4 प्रतिशत महिला
34.5 प्रतिशत 18 से 30 वर्ष
31.7 प्रतिशत 30 से 45 वर्ष
66 प्रतिशत 18 से 45 वर्ष
(स्त्रोत-भारत सरकार)
आत्महत्या के ये हैं प्रमुख कारण
31.7 प्रतिशत पारिवारिक
18.4 प्रतिशत बीमारी
6.9 प्रतिशत नशे के आदी
4.8 प्रतिशत वैवाहिक जीवन संबंधी वजह
4.6 प्रतिशत प्रेम-प्रसंग
3.3 प्रतिशत दिवालियापन या कर्ज
2.6 प्रतिशत बेरोजगारी
(स्त्रोत- भारत सरकार)
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