Delhi Flood: लोग राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर, जान जोखिम में डालकर घरों से सामान निकाल रहे
यमुना में जलस्तर बढ़ने से प्रभावित लोग अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं पर उनका मन अपने घरों में अटके सामान में लगा है। चोरी के डर से वे बार-बार घरों की ओर जा रहे हैं। प्रशासन ने शिविरों में रहने और खाने की व्यवस्था तो की है पर लोगों को अपने सामान की चिंता सता रही है जिससे उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। यमुना का जलस्तर बढ़ने से प्रभावित लोग अब अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं, लेकिन उनका मन अभी भी यमुना किनारे बने अपने घरों और दुकानों में अटका हुआ है। पानी भर जाने के कारण वे अपने घरों से तो निकल आए, परंतु वर्षों की मेहनत से जुटाया गया उनका सामान अब भी वहीं पड़ा है।
चोरी या नुकसान का डर इतना गहरा है कि शिविर में रहने वाले लोग रोजाना दो से तीन बार अपने घरों तक लौटने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग घरों से सामान निकाल कर बाहर ला भी रहे है। यमुना बाजार से विस्थापित होकर मोरी गेट स्थित स्कूल में बनाए गए राहत शिविर में लगभग 300 लोग रह रहे हैं।
घरों में पानी 7 से 8 फुट तक घुस चुका है, जिससे वहां रहना जान जोखिम में डालने जैसा था। प्रशासन की ओर से खाने और रहने की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन प्रभावित परिवारों के मन में अपने सामान को लेकर असुरक्षा की भावना लगातार बनी हुई है।
कैंप में रहने के बाद भी जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। हमारा सामान वर्षों की मेहनत का है। चोरी या नष्ट होने के डर से हमें बार-बार घरों की ओर जाना पड़ता है। - गणेश
हम यहां रह जरूर रहे हैं लेकिन सारा ध्यान घर पर बचे सामान की ओर रहता है। जान के खतरे के बावजूद हमें वहां जाना पड़ता है। - बिंदू
मेरा घड़ी और लेडीज़ पर्स का काम है। पानी में घड़ियां और पर्स खराब हो गए हैं। फिर भी डर रहता है कि कहीं बाकी सामान चोरी न हो जाए, इसलिए मजबूरी में दुकान तक जाना पड़ता है। - दिनेश
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