दिल्ली-NCR की सड़कें होंगी धूल मुक्त, डिजाइनिंग में होगा बदलाव
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सड़कों को धूल मुक्त बनाने के लिए डिजाइन में बदलाव किया जाएगा। सीएक्यूएम और राहगीरी फाउंडेशन के बीच एमओयू होगा जिसके तहत सड़कों का नया स्वरूप तैयार किया जाएगा। इसमें ग्रीन बेल्ट फुटपाथ साइकिल ट्रैक और वेंडर जोन बनाए जाएंगे। गुरुग्राम में राहगिरी फाउंडेशन ने ऐसे प्रयोग किए हैं जिनसे सकारात्मक परिणाम मिले हैं। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सड़कों को धूल मुक्त बनाने के लिए उनके डिजाइन में बदलाव किया जाएगा। यह बदलाव इस तरह से किया जाएगा कि न सिर्फ धूल प्रदूषण रुकेगा बल्कि सड़कों से अतिक्रमण भी हटेगा। इसके अलावा सड़कें आकर्षक दिखेंगी, पैदल यात्री क्रॉसिंग और साइकिल ट्रैक को भी बढ़ावा मिलेगा।
सीएक्यूएम और राहगीरी फाउंडेशन के बीच कल होगा एमओयू
सड़कों को फिर से डिजाइन करने के लिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) और एनजीओ राहगीरी फाउंडेशन के बीच एमओयू होने जा रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर गुरुवार को इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
एमओयू के तहत राहगीरी फाउंडेशन की तकनीकी सलाह पर सड़कों की फिर से डिजाइनिंग की जाएगी। सीएक्यूएम के निर्देश पर सड़क निर्माण एजेंसियां राहगीरी फाउंडेशन के तकनीकी ज्ञान पर डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेंगी। इस रिपोर्ट के आधार पर सड़कों की फिर से डिजाइनिंग शुरू की जाएगी।
नौ शहरों की सड़कों का होगा नया स्वरूप
एमओयू के तहत दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, भिवाड़ी और मानेसर की सड़कों का नया स्वरूप तैयार किया जाएगा। सभी छोटी-बड़ी सड़कों को नया स्वरूप देने का हिस्सा बनाया जाएगा। इस काम को पूरा करने के लिए दो, तीन और पांच साल के अल्पकालिक और दीर्घकालिक लक्ष्य होंगे।
सड़कों के नए स्वरूप में क्या होगा?
सड़कों का नया स्वरूप तैयार करते समय न सिर्फ उन्हें दोबारा बनाया जाएगा, बल्कि दोनों तरफ 10-10 मीटर के हिस्से को अलग तरीके से विकसित किया जाएगा। इसके तहत सड़कों के दोनों तरफ कच्ची जगह लगभग नहीं रहेगी। दो-दो मीटर की ग्रीन बेल्ट बनाई जाएगी, दो मीटर का फुटपाथ, दो मीटर का साइकिल ट्रैक, फिर दो मीटर की ग्रीन बेल्ट और उसके बाद दो मीटर का वेंडर जोन तैयार किया जाएगा।
इस 10-10 मीटर हिस्से पर कंक्रीट या चारकोल नहीं बल्कि इंटरलॉक टाइलें बिछाई जाएंगी। ग्रीन बेल्ट में लगाए जाने वाले पेड़-पौधे भी देशी प्रजाति के होंगे, जो धूल को सोख लेते हैं। ग्रीन बेल्ट में ही वर्षा जल संचयन के लिए प्राकृतिक नालों का निर्माण किया जाएगा, ताकि भूजल को एकत्र किया जा सके। सड़कों का समतलीकरण एक समान होगा। वेंडर जोन के स्थान पर होने के कारण सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी नहीं लगेगी। फुटपाथ पर पैदल यात्री और साइकिल ट्रैक पर साइकिल सवार भी बिना रोक-टोक आगे बढ़ सकेंगे।
पहले कहां हुआ था यह प्रयोग
राहगिरी फाउंडेशन ने गुरुग्राम के उद्योग विहार में ऐसी दो सड़कें बनाई हैं। एक का नाम जनपथ और दूसरी का नाम गली नंबर 7 रखा गया है। तीन और सड़कों पर काम शुरू होने वाला है। हाल ही में हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने गली नंबर 7 का दौरा करने के बाद इसका नाम अटल पथ रखने का निर्देश दिया है।
सड़कों के डिजाइन में बदलाव कर सतही धूल को खत्म किया जाएगा। धूल को सोखने वाले देशी प्रजाति के पेड़-पौधे वातावरण में धूल को नियंत्रित करेंगे। बारिश के पानी की बर्बादी नहीं होगी। जाम नहीं लगेगा और न ही वाहनों की गति कम होगी।
-सारिका पांडा भट्ट, संस्थापक अध्यक्ष, राहगिरी फाउंडेशन
सड़कें हमारे शहरों की धमनियां हैं, उन्हें अवरुद्ध नहीं किया जा सकता। जटिल शहरी चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमें सड़कों को पूरी तरह से सड़कों के रूप में फिर से डिजाइन करना चाहिए, न केवल कारों के लिए, बल्कि लोगों के लिए भी।
पैदल यात्री-अनुकूल डिजाइन, गैर-मोटर चालित परिवहन और सामाजिक समानता पर जोर उत्सर्जन को कम करेगा और सार्वजनिक स्थान को बहाल करेगा।
-सुजीत बाजपेयी, वरिष्ठ सदस्य, CAQM

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