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    किशनगढ़ गोलीकांड का मुख्य आरोपी बरी, अदालत ने सबूतों को नकारा

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 06:28 PM (IST)

    पटियाला हाउस कोर्ट ने किशनगढ़ गोलीकांड मामले में मुख्य आरोपी हरेंद्र मान समेत चार को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि आपराधिक साजिश के पर्याप्त सबूत नहीं मिले। 2021 में किशनगढ़ में एक एसयूवी पर गोलियां चलाई गई थीं जिसमें चालक घायल हो गया था। पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। बचाव पक्ष ने मामले को अटकलों पर आधारित बताया।

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    पटियाला हाउस कोर्ट ने किशनगढ़ गोलीकांड मामले में मुख्य आरोपी हरेंद्र मान समेत चार को बरी कर दिया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत ने चार साल पुराने किशनगढ़ गोलीकांड मामले में मुख्य आरोपी हरेंद्र मान समेत चार आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश के पर्याप्त सबूत नहीं मिले।

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    अदालत ने केवल सह-आरोपियों के बयानों पर भरोसा करने से इनकार कर दिया। साथ ही, चार अन्य आरोपियों पर आर्म्स एक्ट और हत्या के प्रयास के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने कहा कि जांच अधिकारी ने दावा किया था कि हरेंद्र मान व्हाट्सएप कॉल पर सह-आरोपियों के संपर्क में था, लेकिन रिकॉर्ड में कोई कॉल डिटेल या लोकेशन चार्ट पेश नहीं किया गया। ऐसे में हरेंद्र मान, मंजीत सिंह उर्फ ​​महल, सोनू उर्फ ​​मुकेश, आशीष उर्फ ​​बिट्टू और बिमलेश के खिलाफ साजिश का कोई सबूत नहीं है।

    यह घटना वर्ष 2021 में हुई थी, जब किशनगढ़ इलाके में दिनदहाड़े एसयूवी पर गोलियां चलाई गई थीं। हमले में चालक घायल हो गया, जबकि सवार सोमराज उर्फ ​​धामी और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी कृष्ण बाल-बाल बच गए।

    पुलिस ने इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र, हत्या के प्रयास और अन्य धाराओं के तहत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें मुख्य आरोपी हरेंद्र मान और विमलेश मान भी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, यह घटना पुरानी रंजिश का नतीजा थी।

    धामी ने पुलिस को बताया था कि उसकी मान परिवार से दुश्मनी थी, क्योंकि वर्ष 2020 में हरेंद्र मान के चाचा अशोक की हत्या हुई थी और शक के आधार पर उसे और उसके भाइयों को इसमें फंसाया गया था। उसने आरोप लगाया कि किशनगढ़ गोलीकांड उसी रंजिश का नतीजा था।

    अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता रिदम अग्रवाल और नीरज तिवारी ने दलील दी कि पूरा मामला महज अटकलों और बदले की भावना से लगाए गए आरोपों पर आधारित है। पुलिस न तो कोई मोबाइल फोन, सिम कार्ड या तकनीकी साक्ष्य बरामद कर पाई और न ही कॉल डिटेल पेश कर पाई।