छिपाई जा रही जानकारी या बरती गई लापरवाही ? दिल्ली चिड़ियाघर में वन्यजीवों की मौत का रहस्य गहराया
नई दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में एक सप्ताह में कई जानवरों और पक्षियों की मौत हो गई है जिससे चिड़ियाघर प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। बर्ड फ्लू के बावजूद प्रशासन पर जानकारी छुपाने और जांच में लापरवाही बरतने का आरोप है। वन्यजीवों के बाड़े से बाहर आने और बाघिन के शावकों की मौत पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में पिछले एक सप्ताह में एक नर गौर, लाल जंगली मुर्गी, लोमड़ी, तोता और कई घूम रहे पक्षियों की मौत हो गई।
चिड़ियाघर में पक्षियों की ये मौत तब हुई जब वहां बर्ड फ्लू फैला है और अधिकारी अपने आधिकारिक बयानों में बता रहे हैं कि पिछले 72 घंटे में कोई पक्षी मृत नहीं पाया गया।
चिड़ियाघर प्रशासन पर आरोप है कि इन घटनाओं की जानकारी छुपाने की पूरी कोशिश की, जिससे गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह मौतें केवल लापरवाही की वजह से हो रही हैं या फिर जानबूझकर छुपाई जा रही हैं।
इसके अलावा हाल ही में वहीं, ब्राह्मणी चील और 12 काकड़ हिरण अपने बाड़े से बाहर आ गए। चिड़ियाघर निदेशक डाॅ. संजीत कुमार से जब इस संबंध में सवाल पूछे गए तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मृत पक्षियों के सैंपल जांच को नहीं भेजने का आरोप
31 अगस्त से चिड़ियाघर बर्ड फ्लू की आड़ में बंद है। मृत पक्षियों के सैंपल जांच के लिए भी नहीं भेजे जा रहे। शुरुआत में कुछ पक्षियों की मौत की जानकारी दी गई थी, पर अब पूरे मामले को छुपाकर अधिकारी लोगों से झूठ बोलने की कोशिश कर रहे हैं।
बाघिन अदिति के शावकों की मौत पर सवाल
सात वर्षीय रायल बंगाल बाघिन अदिति ने चार अगस्त को छह शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से पांच शावकों की मौत हो गई। प्रशासन ने इन्हें कमजोर और बीमार बताकर मामले को टालने की कोशिश की।
लेकिन ये तथ्य छिपाया कि बाघिन की गर्भावस्था के दौरान बाड़े के सामने निर्माण जारी रखा गया था। जबकि चिड़ियाघर के डाॅक्टर ने बाघिन के बाड़े के सामने चल रहे निर्माण कार्य को प्रसव हो जाने तक तत्काल रोकने की सख्त सलाह दी थी, ताकि गर्भावस्था पर नकारात्मक असर न पड़े।
बावजूद इसके, नियमों को ताख पर रखकर निर्माण कार्य जारी रखा गया। प्रशासन ने मौत के पीछे अपनी लापरवाही छिपाने के लिए बाद में तर्क दिया था कि शावकों ने जन्म के कुछ दिनों बाद दूध पीना बंद कर दिया और उनमें संक्रमण के लक्षण दिखने लगे थे।
बाड़े से बाहर आए वन्यजीव
चिड़ियाघर परिसर के अंदर वन्यजीवों को लेकर इस कदर लापरवाही है कि अभी दो दिन पहले एक ब्राह्मणी चील अपने बाड़े से बाहर निकल गई, जो अब तक पकड़ी नहीं जा सकी।
वहीं, 12 काकड़ हिरण बाड़े भी अपने बाड़े से बाहर निकल गए, लेकिन प्रशासन केवल चार हिरण ही पकड़ सका। बाकी हिरण कहां है ये किसी को नहीं पता। चिडि़याघर की ये स्थिति प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाती है।
पौने दो वर्ष के नर गौर की हुई मौत
अभी कुछ दिन पहले अधिकारियों ने पौने दो वर्ष के गौर को चार वर्ष के एक नर गौर के साथ बाड़े में रखा, वहां पहले से ही एक मादा गौर भी थी। दोनों नर को एक साथ एक बाड़े में रखने के बाद दोनों के बीच झगड़ा हुआ।
चार वर्षीय नर गौर ने दूसरे नर गौर को वर्चस्व की लड़ाई में इतनी बेरहमी से मारा कि उसकी बाड़े के अंदर ही मौत हो गई।
जांच में पता चला कि चार वर्षीय नर गौर पहले भी अपने पिता को मार चुका था। चिड़ियाघर की ओर से ये हरकत जानबूझकर की गई लापरवाही की ओर इशारा करती है।
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