विज्ञापनों में डाबर का उल्लेख ही नहीं... एकल पीठ के आदेश को पतंजलि ने हाई कोर्ट में दी चुनौती
बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने दिल्ली उच्च न्यायालय में डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ विज्ञापन पर रोक के आदेश को चुनौती दी है। एकल पीठ ने डाबर की याचिका पर सुनवाई करते हुए विज्ञापनों को अपमानजनक मानते हुए रोक लगा दी थी और एक पंक्ति हटाने का निर्देश दिया था। पतंजलि का दावा है कि विज्ञापन में डाबर का उल्लेख नहीं है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चलाने से रोकने के एकल पीठ के आदेश को बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
याचिका पर शुक्रवार को न्यायमूर्ति सी हरिशंकर व ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ सुनवाई होने की संभावना है। एकल पीठ ने डाबर की याचिका पर तीन जुलाई को आदेश दिया था।
एकल पीठ ने डाबर के खिलाफ टीवी और प्रिंट दोनों विज्ञापनों को प्रथमदृष्टया अपमानजनक मानते हुए अंतरिम रोक लगा दी थी।
साथ ही पतंजलि को निर्देश दिया कि वह प्रिंट विज्ञापनों से '40 जड़ी-बूटियों से बने साधारण च्यवनप्राश से ही क्यों संतुष्ट हों?' वाली पंक्ति को हटाए।
याचिका में पतंजलि की ओर से अदालत के समक्ष दावा किया है कि उसके विज्ञापन में डाबर का कोई उल्लेख नहीं है।
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