कैबिनेट की नई व्यवस्था से बदलेगा दिल्ली PWD का चेहरा, 90% इंजीनियर चाह रहे दिल्ली सरकार में रहना
दिल्ली सरकार ने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग कैडर के लिए कैबिनेट का फैसला लिया है। इससे विभाग में नए कैडर को लेकर चर्चा हो रही है। ज्यादातर अभियंता दिल्ली सरकार के कैडर में आने को तैयार हैं लेकिन वे नियमों का इंतजार कर रहे हैं। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से आए अभियंता अपने लाभ-हानि का हिसाब लगा रहे हैं। कई अभियंता दिल्ली में ही रहना चाहते हैं।

वीके शुक्ला, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के प्रस्तावित इंजीनियरिंग कैडर के लिए कैबिनेट का फैसला ले लिया है। इसके बाद से पीडब्ल्यूडी में नए कैडर को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, कौन दिल्ली से बाहर जाएगा और काैन यहां रुकेगा इस पर भी बात शुरू हो गई है। विभागीय सूत्रों की मानें तो 90 प्रतिशत से अधिक अभियंता और स्टाफ दिल्ली सरकार के कैडर में आने को तैयार हैं, मगर अभी वे कैडर के लिए जारी होने वाले नियमों के इंतजार में हैं।
कैडर में रहें या सीपीडब्ल्यूडी में वापस जाएं
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से आए ये अभियंता नए कैडर में अपना लाभ, हानि के बारे में भी हिसाब लगा रहे हैं। उनकी मानें तो कैडर के नियमों की घोषणा के बाद ही वह तय कर पाएंगे कि दिल्ली के कैडर में रहें या सीपीडब्ल्यूडी में वापस जाएं। हालांकि, तमाम अभियंता दिल्ली में ही रहने की योजना बना रहे हैं । दरअसल उनके परिवार भी इसी पक्ष में हैं कि वे दिल्ली कैडर में आएं, ऐसे में कम से कम एक जगह तो रह सकेंगे।
36 श्रेणियों में 3214 पद स्वीकृत
दिल्ली में ढांचागत विकास पर बेहतर तरीके से काम करने के लिए 30 साल पहले दिल्ली सरकार ने इस ऐसे विभाग की स्थापना की थी जिसमें उसका एक भी अभियंता नहीं है। वर्तमान में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग विंग में कुल 36 श्रेणियों में 3214 पद स्वीकृत हैं और लगभग सभी पद भरे हुए हैं। अभियंता से लेकर कर्मचारी तक सभी केंद्र सरकार के अंतर्गत केंद्रीय लोक निर्माण विभाग से आते हैं।
तीन साल से लेकर पांच साल तक अधिकारी यहां तैनात रहते हैं, कई बार इससे पहले भी इनका तबादला दूसरे स्थान पर हो जाता है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को निर्माण कार्यों को अंजाम देने के मामले में एक बेहतर एजेंसी मानी जाती है उन्हीं के नियम कानून के आधार पर दिल्ली में भी विकास कार्य होते हैं।
6 वरिष्ठ अभियंता अभी तक निलंबित
मगर पिछली सरकार के समय विभाग में तमाम नियम कानून होने के बाद भी मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल के सिविल लाइन स्थित बंगले में जिस तरीके से निर्माण कार्यों को लेकर अनियमिताओं का मामला सामने आया था। अब भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से लेकर सीबीआई में इसकी जांच चल रही है, 6 वरिष्ठ अभियंता इस मामले में अभी तक निलंबित हो चुके हैं।
कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया
इस घटना के साथ ही स्कूलों में निर्माण कार्य से लेकर नालों के निर्माण में भी अनिमितताओं के मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें अभियंताओं पर कार्रवाई भी हो चुकी है। इसके बाद इस विभाग को लेकर सवाल भी उठे हैं। वर्तमान भाजपा सरकार इस विभाग को ऐसी स्थिति को बेहतर नहीं मानती है। सरकार चाहती है कि उनका अपना इंजीनियरिंग कैडर होना ही चाहिए। गत दिनों इसे लेकर दिल्ली सरकार ने कैबिनेट की बैठक में फैसला ले लिया है।
जिनका कार्यकाल अब 3 से लेकर 5 साल बचा
इस बारे में दैनिक जागरण ने जब पीडब्ल्यूडी में कार्यरत अभियंताओं से उनकी राय जानी तो सामने आया कि विभाग में ऐसे वरिष्ठ अभियंता हैं जिनका कार्यकाल अब 3 से लेकर 5 साल तक बचा है। ऐसे अभियंताओं का कहना है कि उनका लगभग टाइम गुजर चुका है और वह फिर भी देखना चाहेंगे कि नया कैडर उनके लिए कितना उपयोग रहता है।
वहीं ऐसे अभियंता हैं जिनका कार्यकाल लंबा बचा हुआ है। उनका कहना है कि उनके परिवार चाहते हैं कि वह दिल्ली में ही रहें। क्योंकि बार-बार तबादला होने से उन्हें परेशानी होती है, ऐसे में परिवार प्रभावित होने के साथ साथ बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
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