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    मुस्लिमों को लेकर RSS चीफ मोहन भागवत की बैठक में लिया गया बड़ा निर्णय, अब घर-घर पहुंचेगी टीम

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शताब्दी वर्ष में हिंदू-मुस्लिम विवाद कम करने का लक्ष्य रखा है। मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) द्वारा दिल्ली में एक बड़ा सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुस्लिम समाज के आर्थिक और शैक्षणिक विकास पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एक ही हैं और दोनों का डीएनए एक ही है।

    By Nimish Hemant Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 22 Aug 2025 10:11 AM (IST)
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    संघ के शताब्दी वर्ष में देश में धार्मिक भेद कम करने का लक्ष्य।

    नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में देश में हिंदू-मुस्लिम जैसे धार्मिक विवाद को कम करने का लक्ष्य भी तय किया गया है। यह युद्धों व संरक्षणवादी आर्थिकी निर्णयों से बदलते वैश्विक माहौल में देश के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी भी माना जा रहा है।

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    देश को आर्थिक प्रगति व स्थिरता देने के लिए जरूरी है कि आपसी मतभेद खत्म हो और हिंदू-मुस्लिम मिलकर आगे बढ़ें। मुस्लिम समाज से संवादों का यह सिलसिला संघ की करीबी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की ओर से तेज किया जाएगा। आगामी दो माह में दिल्ली में एक बड़े मुस्लिम सम्मेलन के साथ ही देशभर में जिला स्तर पर मुस्लिम बौद्धिक बैठकों का आयोजन होगा। जिसमें संघ पदाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।

    इसी तरह, शताब्दी वर्ष में संघ द्वारा लक्षित करीब 20 करोड़ घरों में गृह संपर्क में मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में यह जिम्मा एमआरएम उठाएगी। यह निर्णय गुरुवार को हरियाणा भवन में सरसंघचालक मोहन भागवत की एमआरएम के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया, जिसमें संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल व एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

    चर्चा का मुख्य विषय देश की प्रगति की दिशा में कैसे हिंदू मुस्लिम समाज की दूरियां कम हो? कैसे एक भारतीयता की पहचान को मजबूत किया जाए?

    बैठक में एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक, प्रकोष्ठों व प्रांत संयोजक मिलाकर 40 से अधिक लोग मौजूद रहे।सूत्रों के अनुसार, बैठक में संघ प्रमुख की ओर से मुस्लिम समाज के आर्थिकी व शैक्षणिक विकास के प्रयासों पर जोर देने का निर्णय लिया गया, जिससे वह समाज की मुख्य धारा में आए।

    सूत्रों के अनुसार, बैठक में मोहन भागवत की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया कि हिंदू-मुस्लिम दो नहीं बल्कि, एक ही हैं। दोनों भारत के अखंड हिस्सा हैं। परंपराओं, पूर्वजों के साथ ही दोनों का डीएनए एक ही है। बैठक में कश्मीर के हालातों पर भी चर्चा हुई तथा वहां के लोगों की बदलती सोच को सकारात्मक बताया गया तथा वहां गृह संपर्क पर विशेष रूप से जोर देने को कहा गया।

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    इसके पूर्व संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ भी आल इंडिया इमाम आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष उमेर अहमद इलियासी नेतृत्व में कुछ दिन पूर्व हरियाणा भवन में ही बैठक हुई थी।

    ये बैठकें उस संवाद का क्रम है जिसमें नियमित रूप से संघ प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मिल रहे हैं और समाजों के बीच बने भ्रम को दूर कर नजदीक लाने के विभिन्न तरीकों पर चर्चा हो रही है।