SRCC प्लेसमेंट के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य, छात्रों में असंतोष
दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्लेसमेंट ड्राइव में भाग लेने के लिए छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। यह नियम इंटर्नशिप स्कॉलरशिप और कॉलेज सोसाइटी के पदों पर भी लागू होगा। कॉलेज का कहना है कि कक्षाओं में छात्रों की कम होती उपस्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्लेसमेंट ड्राइव में भाग लेने के लिए छात्रों की कम से कम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य करने का नियम लागू कर दिया है।
डीयू के अध्यादेश 8 के अनुसार, अब तक 75 प्रतिशत उपस्थिति केवल परीक्षाओं और छात्र संघ चुनाव (डूसू) में खड़े होने के लिए ही आवश्यक थी। लेकिन, एसआरसीसी ने इसे और आगे बढ़ाते हुए इंटर्नशिप, स्कॉलरशिप, हॉस्टल और कॉलेज सोसाइटी में पद पाने के लिए भी इसे लागू कर दिया है।
14 अगस्त को जारी नोटिस के बाद कॉलेज की स्टाफ काउंसिल ने सर्वसम्मति से यह नियम पारित किया। काउंसिल का कहना है कि हाल के वर्षों में कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति कम हो रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया है।
काउंसिल के एक सदस्य ने कहा कि इसका उद्देश्य अवसर छीनना नहीं, बल्कि छात्रों को नियमित रूप से कक्षाओं में आने और अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है। लेकिन, छात्रों ने इस नियम पर आपत्ति जताई है।
कई अंतिम वर्ष के छात्रों का कहना है कि नौकरी के अवसर सभी के लिए खुले होने चाहिए। अगर चिकित्सा कारणों या व्यक्तिगत समस्याओं के कारण उपस्थिति कम हो जाती है, तो इसका करियर पर असर नहीं पड़ना चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय की केंद्रीय प्लेसमेंट सेल (सीपीसी) की अधिकारी प्रो. हेना सिंह ने कहा, विश्वविद्यालय स्तर पर प्लेसमेंट के लिए उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। उपस्थिति को प्लेसमेंट, स्कॉलरशिप या इंटर्नशिप से जोड़ना डीयू के नियमों में नहीं है। यह फैसला कॉलेज ने खुद लिया है, वह इसके लिए स्वतंत्र है।
भारतीय राष्ट्रीय शिक्षक कांग्रेस के अध्यक्ष प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, उपस्थिति को करियर विकल्पों से जोड़ना अनुचित है। सभी छात्रों को समान अवसर मिलना चाहिए। कई बार छात्रों को उपस्थिति में रियायत दी जाती है।
लेकिन, प्लेसमेंट में फैसला कंपनियों पर छोड़ देना चाहिए कि वे तय करें कि छात्र नौकरी के योग्य है या नहीं। मामले में कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. सिमरित कौर से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
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