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    UER-2: टोल शुरू होने से छोटे ट्रांसपोर्टर परेशान, मिनी ट्रक और टेंपो पर सबसे ज्यादा असर

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 02:49 PM (IST)

    दिल्ली में यूईआर-2 पर टोल शुरू होने से छोटे ट्रांसपोर्टर परेशान हैं क्योंकि उनकी आय घट गई है। मुंडका नरेला जैसे इलाकों से गुरुग्राम जाने वाले वाहन चालकों पर असर पड़ा है। टोल के कारण 15-20% तक आय में कमी आई है। ट्रांसपोर्टर टोल हटाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि वे किराया बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं।

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    टोल लगने से छोटे ट्रांसपोर्टर का खर्च बढ़ा।

    दीपक, बाहरी दिल्ली। दिल्ली में यूईआर-2 पर मुंडका-बक्करवाला टोल शुरू होने के बाद छोटे ट्रांसपोटर परेशान हैं। टोल वसूली के बाद ट्रांसपोर्टर का खर्च बढ़ने से आमदनी घट गई है। आसपास की मंडियों और फैक्ट्री व गाेदाम से इधर-उधर माल ढुलाई वाले मिनी ट्रक और टेंपो पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।

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    इनमें से अधिकतर वाहनों के खुद मालिक और चालक के अलावा ट्रांसपोर्ट कंपनी संचालक भी हैं। बड़ी संख्या में छोटे वाहन मुंडका, नरेला, बवाना, मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र से माल लेकर गुरुग्राम जाते हैं। टोल के कारण छोटे ट्रांसपोर्टर की आदमनी 15 से 20 प्रतिशत तक घट गई है।

    बाहरी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली क्षेत्र में एक हजार से अधिक मालवाहक वाहन हैं, इनमें करीब पांच सौ छोटे वाहन शामिल हैं। अधिकतर वाहन मुंडका औद्योगिक क्षेत्र और राजधानी पार्क से माल लेकर द्वारका, नजफगढ़, भरथल, बापरौला के अलावा गुरुग्राम व मानेसर की ओर जाते हैं।

    माल वाहक वाहन मालिक व चालकों का कहना है कि सभी खुश थे कि यातायात जाम व जर्जर रोड के बजाय यूईआर-2 का इस्तेमाल करेंगे। इससे ईंधन-पैसा और समय बचेगा। आमदनी बढ़ेगी, लेकिन अब हो गया उल्टा। छोटे ट्रांसपोर्टर का कहना है कि टोल लगने के बाद किराया बढ़ाने की स्थिति में भी नहीं हैं। सरकार काे छोटे कामर्शियल वाहनों की आवाजाही फ्री करनी चाहिए।

    मेरा मुंडका में आफिस है। हमें यहां से बक्करवाला गाड़ी लोड करने के लिए भेजते हैं। लोडिंग के लिए जाने वाले वाहन पर भी उन्हें टोल टैक्स देना पड़ रहा है। मंझले व छोटे ट्रांसपोर्टर टोल नहीं देना चाहते हैं। यह जबरदस्ती थोपा गया टैक्स है। इस बंद होना चाहिए। - नवीन कुमार, ट्रांसपोर्टर

    हमें चाहते है कि यह टोल बंद होना चाहिए। छोटे माल वाहन चालक के लिए इतना महंगा टोल देना संभव नहीं है। टोल के कारण हर छोटे ट्रांसपोर्टर की आदमनी 15 से 20 प्रतिशत तक घट गई है। टोल बचाने के लिए गांव के संपर्क रास्तों से जाना शुरू किया था, लेकिन अब इन संपर्क मार्गाें पर कामर्शियल वाहनों की बढ़ती संख्या के बाद ग्रामीणों ने विरोध करना आरंभ कर दिया है। करें तो क्या करें, यह समझ नहीं आ रहा है। - सुरेंद्र लाकड़ा, आल इंडिया ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन, प्रदेशाध्यक्ष

    हमें उम्मीद थी कि यूईआर-2 बनने के बाद सुविधा मिलेगी। लेकिन सरकार ने टोल लगाकर ट्रांसपोटर्स का बोझ भी बढ़ा दिया है। मैं राजधानी पार्क से गाड़ी लोड करता हूं और नजफगढ़ जाता हूं। जिसके लिए मुझे 15 सौ रूपये मिलते है। जिसमें से लगभग पांच सौ रुपये बचत होती है। हमें अपने घर में ही टोल देना पड़ रहा है। यह बिल्कुल गलत है। रोहतक रोड से जाएं तो दो घंटे लगते हैं। यूईआर-2 से केवल 20 मिनट। - रविप्रकाश, ट्रांसपोर्टर

    यूईआर-2 के उद्घाटन के बाद सबसे ज्यादा ट्रांसपोटर्स खुश थे। हमें लग रहा था कि अब हमें दिल्ली के जाम से मुक्ति मिलेगी। लेकिन टोल लगाकर सरकार ने गलत किया है। हमें नांगलोई टिंबर बाजार से नजफगढ़ जाने के लगभग 15 सौ रुपये किराया मिलता है, जिसमें से पांच-छह सौ रुपये ईंधन में खर्च हो जाते हैं। 100-200 रुपये के अन्य खर्च हो जाते हैं। अब अगर 350 रुपये टोल टैक्स दे देंगे तो हमें क्या बचेगा। - राजेश कौशिक, ट्रांसपोर्टर

    मैं टीकरी से माल लोड करता हूं और द्वारका जाता हूं। जिसके लिए मुझे 15 सौ रुपये भाड़ा मिलता है। इस टोल से बचने के लिए गाड़ियां गांव के रास्ते से निकलना पड़ रहा है। जिससे गांव के रास्तों में जाम लगने से काफी समय खराब हो जाता है। पहले सरकार गाड़ी लेते समय तमाम तरीके के टोल वसूलती है और अब इस टोल ने ट्रांसपोर्टर की परेशानी बढ़ा दी है। - जहान सिंह, ट्रांसपोर्टर

    हम मुंडका औद्योगिक क्षेत्र से गाड़ी लोड करते हैं और गुरुग्राम जाते हैं। जिसके लिए 1800-2000 रुपये किराया लेते हैं। यूईआर-2 पर इतना ज्यादा टोल लगा दिया है। जिसका असर हमारे साथ-साथ आम लोगों पर भी पड़ रहा है। क्योंकि कोई भी बोझ हमारे ऊपर पड़ेगा तो किराया बढ़ाना हमारी मजबूरी होगा। - सोमदत्त, ट्रांसपोर्टर

    पंचायत को लेकर जनसंपर्क अभियान

    पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने 13 सितंबर को होने वाली पंचायत को लेकर कई गांवों का दौरा किया और ग्रामीणों से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने की अपील की। यह पंचायत बक्करवाला टोल टैक्स के विरोध में आयोजित की जा रही है।

    झरौदा कलां के बाबा हरिदास मंदिर में आयोजित बैठक में चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि सरकार ने ग्रामीणों की ज़मीनें कौड़ियों के भाव अधिग्रहित कर लीं, लेकिन उसके बाद भी किसानों और ग्रामीणों पर तरह-तरह के टैक्स थोपे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब यह बोझ गांववाले किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेंगे।

    सोलंकी ने कहा कि दिल्ली के इतिहास में कभी टोल टैक्स नहीं लगाया गया, लेकिन अब सरकार इसे थोपने पर आमादा है, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। उन्होंने बताया कि अधिग्रहित की गई ज़मीन का 10 प्रतिशत उचित मुआवजा ग्रामीणों को नहीं मिला है, जिससे लोगों में गहरा रोष है।

    उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द ही ग्रामीणों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया और टोल टैक्स को वापस नहीं लिया, तो यह आंदोलन एक बड़ा रूप लेगा और पूरे दिल्ली देहात में इसका असर देखने को मिलेगा।

    बैठक में राजेंद्र डागर प्रधान झरौड़ा कलां, मास्टर कान्हा, दीघराम नंबरदार, महेंद्र थानेदार, राजेंद्र साध,सूरजभान, साहब सिंह, बलवान सिंह पंडित सत्नारायण, सतीश शर्मा आदि मौजूद रहे। गांव ईशापुर, कैर, मुंढेला कलां व मुंढेला खुर्द में जनसंपर्क किया गया।