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    दिल्ली धमाके में अमोनियम नाइट्रेट के साथ Mother of Satan का इस्तेमाल! फोरेंसिंक लैब जल्द सौपेंगी रिपोर्ट

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 07:08 PM (IST)

    लाल किले के बाहर हुए धमाके की फोरेंसिक जांच में अमोनियम नाइट्रेट और टीएटीपी की पुष्टि हुई है। एफएसएल रोहिणी की टीमें नमूनों की जांच कर रही हैं। विस्फोटक यूनिट ने क्षतिग्रस्त वाहनों और घटनास्थल से लिए नमूनों की जांच की है। अंतिम रिपोर्ट एनआईए को सौंपी जाएगी। एफएसएल के निदेशक ने बताया कि रिपोर्ट मंगलवार तक दे दी जाएगी।

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    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। लाल किला के बाहर हुए आतंकी धमाके की फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की फाइनल रिपोर्ट मंगलवार शाम तक आ जाने की संभावना है। एफएसएल के रोहिणी, सेक्टर 14 और सेक्टर-23 स्थित सेंटरों में सीनियर रिपोर्टिंग ऑफिसर व रिपोर्टिंग ऑफिसर की 20 सदस्यीय अलग-अलग तीन टीमें धमाके मामले की जांच में जुटी हुई हैं।

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    रसायन विज्ञान विभाग के विस्फोटक यूनिट में धमाके में इस्तेमाल केमिकल के बारे में जांच की जा रही है। विस्फोटक यूनिट ने अब तक क्षतिग्रस्त वाहनों व मौके से उठए गए सात नमूनों की जांच की है, जिनमें अमोनियम नाइट्रेट व TATP होने की ही पुष्टि हुई है। कुछ और नमूनों की जांच होनी बाकी है, जिसे मंगलवार तक पूरी होने की बात बताई जा रही है। इसके बाद फाइनल रिपोर्ट राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दी जाएगी।

    एफएसएल रोहिणी को बनाया गया वीरा सेंटर

    एफएसएल के प्रिंसिपल डायरेक्टर, डाॅ. अनिल अग्रवाल ने सोमवार को दैनिक जागरण से हुई विशेष बातचीत में विस्फोटक में इस्तेमाल केमिकल के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने केवल यह पुष्टि की कि फाइनल रिपोर्ट मंगलवार तक एनआईए को सौंप दी जाएगी।

    एफएसएल के एक अधिकारी के मुताबिक विस्फाेटक पदार्थ की जांच के लिए एफएसएल के रोहिणी, सेक्टर-23 में विशेष तरह का कार्यालय बनाया गया है, जिसका नाम वीरा सेंटर दिया गया है। यहीं पर धमाके में क्षतिग्रस्त वाहनों व घटनास्थल पर जमीन व अन्य जगहों से उठाए गए नमूनों की जांच की जा रही है।

    सबसे अधिक विज्ञानी नमूनों की जांच में लगे

    सबसे अधिक विज्ञानी इसी नमूनों की जांच में लगे हुए हैं। इसके अलावा रोहिणी सेक्टर 14 स्थित एफएसएल के भौतिक विभाग में क्षतिग्रस्त वाहनों की जांच की जा रही है। क्षतिग्रस्त वाहनाें के चेेसिस नंबर व इंजन नंबर आदि के बारे में पता लगाया जा रहा है। जैश आतंकी डाॅ. उमर नबी बट के आई-20 कार के चेसिस नंबर व इंजन नंबर के बारे में विज्ञानियाें को अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।

    धमाके में कई लोगों की मौत हुई और उनके शरीर के चीथड़े उड़ गए। इसकी वजह से पहचान नहीं हो रही थी। ऐसे मानव अंगों की डीएनए जांच एफएसएल के जीव विज्ञान विभाग में की जा रही है। यहीं पर आतंकी उमर और उसकी मां के डीएनए का मिलान भी कराया गया।

    गृह मंत्रालय को भेजी जा चुकी है जांच की प्राथमिक रिपोर्ट 

    एफएसएल के एक वरिष्ठ विज्ञानी का कहना है कि धमाके से जुड़े सभी तरह के मामले की जांच केवल रोहिणी स्थित एफएसएल के विज्ञानी ही कर रहे हैं। फोरेंसिक जांच के लिए किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी को शामिल नहीं किया गया है। कुछ दिन पहले एक प्रारंभिक रिपोर्ट गृह मंत्रालय और एनआईए को भेज दी गई थी।

    लाल किला धमाके में कुल 30 वाहन क्षतिग्रस्त हुए थे, जिनमें अधिकतर कारें शामिल थीं। इन वाहनों को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब रोहिणी में रखा गया है। धमाके के दौरान सड़क की दूसरी तरफ भी पांच वाहन मामूली रूप से क्षतिग्रस्त हो गए थे जिन्हें मौरिस नगर स्थित ऑपरेशन सेल के कार्यालय परिसर में रखा गया है।

    एक शक्तिशाली विस्फोटक है TATP

    TATP (ट्राइएसीटोन ट्राइपेरोक्साइड) एक शक्तिशाली विस्फोटक है, जिसे साधारण रसायनों एसीटोन, हाइड्रोजन पैराॅक्साइड और किसी मजबूत एसिड की मदद से बनाया जा सकता है। इसकी खतरनाक प्रकृति और आसानी से तैयार होने की क्षमता के कारण इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘Mother of Satan’ के नाम से जाना जाता है।

    धातु-रहित संरचना के कारण टीएटीपी पारंपरिक मेटल डिटेक्टर को चकमा दे सकता है, जिससे यह आतंकवादी मॉड्यूल के लिए पसंदीदा विस्फोटक बन गया है।

    दुनिया भर में कई बड़े आतंकी हमलों में टीएटीपी का उपयोग हो चुका है, जिसमें 2005 का लंदन अंडरग्राउंड ब्लास्ट और 2015 का पेरिस हमला प्रमुख हैं। भारत में भी सुरक्षा एजेंसियां कई माॅड्यूल से टीएटीपी बरामदगी कर चुकी हैं।

    अमोनियम नाइट्रेट है एक शक्तिशाली ऑक्सीडाइजर

    अमोनियम नाइट्रेट एक शक्तिशाली ऑक्सीडाइजर है, जिसका उपयोग दुनिया भर में उर्वरक, खनन और औद्योगिक कार्यों में किया जाता है। अपने आप में यह पदार्थ विस्फोटक नहीं होता, लेकिन जब इसे किसी ईंधन आयल जैसे डीजल, केरोसीन या पेट्रोल के साथ मिलाया जाता है, तब यह अत्यंत शक्तिशाली विस्फोटक में बदल जाता है।

    गर्मी या बंद स्थान में दबाव बढ़ने से यह स्वतंत्र रूप से भी विस्फोट कर सकता है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर कई विनाशकारी हादसे हुए हैं। आतंकी इसे इसलिए चुनते हैं क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होता है, इसे बड़ी मात्रा में खरीदा जा सकता है, सस्ता है। ऑक्सीडाइजर की वजह से कम ईंधन में भी बड़ा धमाका पैदा करता है।